पृथ्वी पर आज भी विचरते है बजरंग बली

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हनुमान जयंती पर विशेष। हनुमान जी को भगवान शिव के आठवां अवतार माना जाता है। धर्मिक मान्यताओं के अनुसार नरक चर्तुदशी अर्थात कर्तिक कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी के दिन जन्मे थे बजरंग बली। माता अंजनी तथा राजा केसरी के घर बजरंगबली का जन्म हुआ। भगवान राम जब धराधाम को त्यागने के लिए जल समाधि लेने गये थे। तब हनुमान जी भी उनके पीछे हो लिए। तब भगवान राम ने इन्हें धर्म तथा अयोध्या की रक्षा के लिए हनुमान जी को धरती पर रूकने का आदेश दिया था। साथ ही भगवान राम ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। इसी कारण मान्यता है कि आज भी वे पृथ्वी पर विचरते है। इसी वरदान के कारण आज भी हनुमान जी पृथ्वी पर है और भगवान के भक्तों तथा धर्म की रक्षा में लगे हुए है। कलियुग के एक मात्र प्रत्यक्ष देव है बजरंग बली। जिनके जीवित होने के प्रमाण समय-सयम पर प्राप्त होते रहें जो इस बात को प्रमाणित करता है कि भगवान आज भी धरती पर विचरते है। 16 शताब्दी सदी के महान संत कवि तुलसीदास जी को हनुमान की कृपा से राम जी के दर्शन प्राप्त हुए। कथा है कि हनुमान जी ने तुलसीदास जी से कहा था कि राम और लक्ष्मणचित्रकूट नियमित आते रहते हैं। मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा जब राम और लक्ष्मण आएंगे मैं आपको संकेत दे दूंगा। हनुमान जी की आज्ञा के अनुसार तुलसीदास जी चित्रकूट घाट पर बैठ गये और सभी आने जाने वालों को चंदन लगाने लगे। राम और लक्ष्मण जब आये तो हनुमान जी गाने लगे चित्रकूट के घाट पै , भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर। हनुमान के यह वचन सुनते ही तुलसीदास प्रभु राम और लक्ष्मण को निहारने लगे। इस प्रकार तुलसीदास को राम जी के दर्शन हुए। तुलसीदास की बढ़ती हुई कीर्ति से प्रभावित होकर अकबर ने एक बार तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाया। तुलसीदास जी को अकबर ने कोई चमत्कार दिखाने के लिए कहा , जिसे तुलसीदास जी ने अस्वीकार कर दिया। क्रोधित होकर अकबर ने तुलसीदास को जेल में डाल दिया। जेल में तुलसीदास जी ने हनुमान की अराधना शुरू कर दी। इतने में चमत्कार यह हुआ कि बंदरों ने अकबर के महल पर आक्रमण कर दिया। बंदरों के उत्पात से अकबर भयभीत हो गया। अकबर को समझ में आ गया कि तुलसीदास जी को जेल में डालने के कारण हनुमान जी नाराज हो गये हैं। बंदरों के उत्पात का कारण यही है। अकबर ने संत तुलसीदास जी से क्षमा मांगी और उन्हें जेल से मुक्त कर दिया। तुलसीदास जी से पहले हनुमान जी की मुलाकात द्वापरयुग में महाभारत यद्ध से पहले भीम से हुई थी। भीम की विनती पर युद्घ के समय हनुमान जी ने पाण्डवों की सहायता करने का आश्वासन दिया था। माना जाता है कि महाभारत युद्घ के समय अर्जुन के रथ का ध्वज थाम कर महावीर हनुमान बैठे थे। इसी कारण तीखे वाणों से भी अर्जुन का रथ पीछे नहीं होता था और संपूर्ण यद्ध के दौरान अर्जुन के रथ का ध्वज लहराता रहा। इसके बाद जब भीम तथा अर्जुन को अभिमान हो गया था तब भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के आदेश पर हनुमान जी ने इनका अभिमान चूर किया था। शास्त्रों का ऐसा मत है कि जहां भी राम कथा होती है वहां हनुमान जी अवश्य होते हैं। इसलिए हनुमान की कृपा पाने के लिए श्री राम की भक्ति जरूरी है। जो राम के भक्त हैं हनुमान उनकी सदैव रक्षा करते हैं।