छठ के लिए लौटी बाजार में रौनक

chath puja

महासमुंद। दीपावली के बाद सूने पड़े बाजार में छठ पर्व को लेकर फिर रौनक लौट आई है। छठ पर्व के लिए कपड़े, मिठाई और फलों की खरीददारी हो रही है। सूर्यदेव को पहला अध्र्य 17 नवंबर की शाम श्रद्धालु नदी-तालाबों में डुबकी लगाकर देंगे। लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन से बाजारों में पसरा सन्नाटा छठ महापर्व शुरू होते ही खत्म हो गया। छठ पर्व पर नदी-तालाबों में स्नान कर भगवान सूर्य को जल व दूध से अध्र्य देकर भोग लगाया जाता है। लक्ष्मी पूजा के छठवें दिन पडऩे वाला इस महापर्व के लिए श्रद्धालु कपड़े की खरीददारी करते हंै, जिससे कपड़े दुकानों में भीड़ देखी जा रही है। इसके अलावा लोग फलों व पूजा सामग्री की भी खरीददारी कर रहे हैं।
क्या है नियम
पहले दिन शाम को सूर्यदेव को जल का अघ्र्य देने के बाद दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जल ग्रहण किए उपवास रखकर सूर्यास्त होने पर पूजा करते हंै पश्चात दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आए तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब &6 घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है। महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अध्र्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंद मूल से अघ्र्य अर्पित करते हैं। छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अघ्र्य देते हैं। दूसरा अघ्र्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का &6 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं। सूर्योपासना के इस पवित्र महापर्व के पहले दिन छठ व्रती श्रद्धालु नर-नारियांं अंत:करण की शुद्धि के लिए
नदियों-तलाबों के निर्मल एवं स्व’छ जल में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करते हंै। परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व के लिए किसी पुरोहित-पंडित की आवश्यकता नहीं होती।