राजीव के नाम पर चल रही योजनाएं बंद करेगी मोदी सरकार

rajiv-gandhiनई दिल्ली। भारतीय डाक टिकट से इंदिरा और राजीव गांधी को हटाने के बाद अब केन्द्र सरकार राजीव गांधी के नाम से चल रही योजनाओं को भी बंद करने जा रही है। मुख्यमंत्रियों के उपसमूह ने केंद्र समर्थित योजनाओं (सीएसएस) को घटाकर 30 करने की सिफारिश की है। उप समूह ने सात योजनाओं को इनमें से हटाने की बात कही है। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम से चल रही दो योजनाएं शामिल हैं। इससे पहले मोदी सरकार ने पिछले बजट में जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन योजना को खत्म कर नई योजना अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर शुरू की थी। वहीं, मुख्यमंत्रियों ने पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष और पुलिस आधुनिकीकरण योजना को हटाने के मुख्यमंत्रियों के उपसमूह के फैसले का विरोध किया है। मुख्यमंत्रियों का कहना है कि इन योजनाओं को हटाने से नक्सलवाद और फैलेगा। डॉ. मनमोहन सिंह सरकार ने सीएसएस योजनाओं की संख्या 225 से घटाकर 66 कर दी थी। इनकी संख्या और घटाने के लिए मोदी सरकार ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में एक उपसमूह का गठन किया था।
ये योजनाएं होंगी बंदइस समूह ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। समूह ने जिन सात योजनाओं को सीएसएस से हटाने की सिफारिश की है, उनमें बीआरजीएफ (जिला और राज्य, दोनों मद), निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ढांचागत विकास के लिए राज्यों को आर्थिक सहायता, राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण योजना, राजीव गांधी किशोर बालिका सशक्तिकरण योजना, पुलिस और अन्य बलों के आधुनिकीकरण के लिए राष्ट्रीय योजना, ब्लॉक स्तर पर 6000 मॉडल स्कूल बनाने की योजना शामिल है। पुलिस आधुनिकीकरण की योजना को भी सीएसएस से हटाने की सिफारिश का न केवल मुख्यमंत्रियों ने बल्कि पुलिस ने भी विरोध किया है। खासकर नक्सल प्रभावित राज्यों ने इसे खतरनाक कदम बताया है।
जिलों का रुक जाएगा विकास बीआरजीएफ योजना दो तरीके से चलती है। एक योजना में सरकार सीधे जिलों के विकास के लिए धन देती है। दूसरे में राज्यों को जिलों के विकास के लिए धन देती है। उपसमूह ने इन योजनाओं को केंद्र समर्थित योजनाओं से हटाने की सिफारिश की है। छत्तीयगढ़, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पूर्वोत्तर समेत कुछ और राज्यों के मुख्यमंत्रियों का कहना है कि केंद्र की तरफ से मिलने वाली सहायता से 28 राज्यों के 272 जिलों में विकास होता है। उनका कहना है कि ये वे जिले हैं, जो बहुत पिछड़े हैं।
एजेंसियां