बेंगलुरु। दुनिया में जहां एड्स की रोकथाम के लिए वल्र्ड एड्स डे मनाया जा रहा है, वहीं कर्नाटक में कंडोम की कमी के बढ़ते संकट से सभी परेशान हैं। कंडोम की कमी के कारण यहां के सेक्स वर्कर्स तो परेशान हैं ही, साथ ही साथ राज्य के लोग शारीरिक संबंध बनाने से भी कतराने लगे हैं। प्रशासन भी कंडोम की कमी के कारण राज्य में एचआईवी या एड्स के संकट बढऩे के संभावित खतरे से डर रहा है। एड्स की रोकथाम के लिए काम करने वाले सरकारी संगठन, नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम (एनएसीपी) के अनुसार, राज्य में एक सेक्स वर्कर को आमतौर पर औसतन 15 से 20 मिनट के अंतराल पर एक कंडोम की जरूरत पड़ती है। लेकिन, कंडोम में कमी के कारण कर्नाटक के रमनानगरम, उदुपी व हासन जिलों में ऐसा नहीं हो पा रहा है। कंडोम की कमी का आरोप कर्नाटक स्टेट एड्स प्रीवेंशन सोसाइटी (केएसएपीएस) पर लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि संकट का प्रमुख कारण मुफ्त में दिए जाने वाले कंडोम की मात्रा में भारी कमी किया जाना है। आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो पता चलता है कि हर बार सरकार सेक्स वर्कर्स को मुफ्त में 26-30 लाख कंडोम उपलब्ध करवाती थी, लेकिन इस बार केवल कुल 6.9 लाख कंडोम मुफ्त में मुहैया करवाए गए हैं। एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में केएसएपीएस के परियोजना निदेशक एसजी रविंद्र ने बताया कि कंडोम की कोई कमी नहीं है। अगला स्टॉक आते ही परेशानी खत्म हो जाएगी। आपको बता दें कि एक अनुमान के अनुसार राज्य में तकरीबन 87 हजार सेक्स वर्कर काम कर रहे हैं, जिन्हें मुफ्त कंडोम का लाभ मिलता है। यौनकर्मियों के अधिकार के लिए आवाज उठाने वाले विभिन्न संगठनों की माने तो कंडोम की कमी से राज्य में रह रहे लोगों के अलावा प्रवासी, ट्रक ड्राइवर व राष्ट्रीय राजमार्गों के आशपास के इलाके में रहने वालों को भी काफी खतरा है। इसके साथ ही इन गैर-सरकारी संगठनों का कहना है कि इससे उनके 10 साल की मेहनत भी खराब हो जाएगी। क्योंकि, पिछले 10 सालों में इन लोगों ने राज्य में एड्स की रोकथाम के लिए जागरुकता फैलाने का काफी काम किया है।