एमसीजी व सिस्टम लोडिंग चार्ज को समाप्त करने पर नियामक आयोग गंभीर

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा गठित टैरिफ सरलीकरण कमेटी की गुरुवार को दूसरी बैठक आयोग सभागार में स पन्न हुयी। बैठक में सभी सदस्यो ने हिस्सा लिया और टैरिफ की विषमता पर विचार-विमर्श कर अनेको ग भीर मुद्दों पर चर्चा की । टैरिफ सरलीकरण कमेटी की बैठक में नियामक आयोग की ओर से निदेशक टैरिफ डॉक्टर अमित भार्गव निदेशक वितरण विकास चन्द्र अग्रवाल, उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा पावर कॉरपोरेशन की ओर से मु य अभियन्ता आरएयू जयन्त वर्मा, एसाोसिएट चै बर आफ कामर्स के सचिव बीएन गुप्ता पूर्व सदस्य वित्त यूपीएसइवी वीवी जिन्दल व एनपीसीएल के मु य अभियन्ता सारनाथ गांगुली ने भाग लिया।
बैठक मे उपस्थित कमेटी के सदस्यों ने सिस्टम लोडिंग चार्ज व वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं पर लगने वाले मिनिमम गारंटी चार्ज (एमसीजी) को समाप्त करने पर भी अपनी सहमति बनाते हुए पूरा मामला आयोग के सामने भेजने का निर्णय लिया गया, साथ ही इसका क्या प्रभाव टैरिफ पड़ेगा इसकी पूरी सूचना पावर कॉरपोरेशन के कमेटी सदस्य को प्रस्तुत करने को कहा गया। नियामक आयोग के अध्यक्ष देशदीपक वर्मा ने भी हिस्सा लेकर टैरिफ सरलीकरण कमेटी द्वारा किये जा रहे कार्यो की पूरी जानकारी ली गयी और यह निर्देश दिये गये कि कमेटी सभी मुद्दों पर ग भीरता से अध्ययन कर एक पारदर्शी रिपोर्ट तैयार करे जिससे उत्तर प्रदेश का बिजली दर काफी सरल हो जाये और प्रदेश का प्रत्येक उपभोक्ता टैरिफ को आसानी से समझ सके जिससे भविष्य में उसका अनावश्यक उत्पीडन बाबू व्यवस्था न कर पाये। बैठक में भाग लेते हुए कमेटी के सदस्य व उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने अनेको ंमुद्दो पर अपनी बात रखते हुए घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं पर लगने वाले फिक्स चार्ज को समाप्त करने का कमेटी सदस्यों द्वारा की जा रही टैरिफ सरलीकरण कमेटी की बैठक में मुद्दा उठाते हुए अनेकों तर्क पेश किये और यह कहा कि बिना बिजली दिये बिजली क पनियां करोडों रुपया केवल फिक्स चार्ज के रूप में घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं से प्रति किलोवाट वसूल करती है जिसे समाप्त किये जाने पर विचार किया जाना आवश्यक है जिस पर कमेटी के सदस्यों ने अपने-अपने तर्क रखे और आखिर इस पर आगे टैरिफ में क्या प्रभाव पडेगा इन सब पहलुओ पर आगामी 21 दिस बर की बैठक में विचार-विमर्श किये जाने का निर्णय लिया गया। कमेटी के सदस्यों द्वारा एलएमबी-2 (वाणिज्यक) व एलएमबी-4 प्राइवेट इंस्टीटियूशन कटेगरी को एक करने पर भी विचार-विमर्श किया गया और ट पोरोरी सप्लाई एलएमबी-9 की कठिनाइयों पर विचार-विमर्श किया गया।