मधेशियों की मांगों पर नेपाल सरकार करेगी कानून में संशोधन

nepal pmकाठमांडू। पिछले कई महीनों से नेपाल में पारित नए कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे मधेशियों की मांगों के आगे सरकार झुकती नजर आ रही है। इनकी मांगों को लेकर पहली बार नेपाल सरकार ने नए कानून में संशोधन करने का बड़ा फैसला लिया है।
बता दें कि तराई क्षेत्र में प्रदर्शन कर रहे मधेशियों की दो मुख्य मांगें उनका संवैधानिक तौर पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व और निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन को लेकर आंदोलनरत है।  जानकारों की मानें तो नेपाल सरकार के इस कदम का भारत सरकार भी स्वागत करेगी। नेपाल सरकार की तरफ से ये बड़ा फैसला रविवार की रात को सिन्हा दरबार में बुलाई गई आपात बैठक में लिया गया। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि एक ऐसा राजनैतिक तंत्र बनाया जाएगा जो तीन महीने के अंदर प्रांतीय सीमा समस्या के निदान के लिए खाका तैयार करेगा।
मधेशी क्षेत्र से संबंधित जो भी राजनीतिक पार्टियां थी वो पिछले करीब चार महीनों से नए संविधान में सात प्रांत बनाए जाने के नए मॉडल के खिलाफ थीं। उनकी मानना था कि उनकी पैतृक भूमि को राजनैतिक तौर पर फायदा लेने के लिए बांट दिया गया । इसी के चलते आंदोलन कर रहे लोगों ने भारत से लगती नेपाल की सीमा पर नाकेबंदी कर दिया। जिसकी वजह से वहां पर दवा और आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई। अगस्त से लेकर अब तक करीब 50 भारतवंशी मधेशी इस आंदोलन के चलते मारे जा चुके हैं। नेपाल के तराई क्षेत्र में रह रहे मधेशियों की जनसंख्या नेपाली की कुल आबादी की करीब 52 फीसदी है।