भारत का एक ऐसा गांव जहां लागू होता है ग्रीक का संविधान

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फीचर डेस्क। हिमाचल की पहाड़ी खूबसूरती में कई पांडव कालीन राज और विरास्ते छुपी हुए है लेकिन एक और चौंकाने वाली बात औैर है की इन्ही वादियों में सिकंदर के सैनिको ने अपना डेरा बना लिया था और अब भी वो वहीं रह रहे है, दिखते और बोलते भी ग्रीक सैनिको के जैसे है ये लोग
कुल्लू जिले का मलाणा गांव काला सोना यानि दुनिया की सबसे अच्छी चरस के लिए मशहूर है, साथ ही यहां के लोग अपने आप को सिकंदर के सैनिको के वंशज बताते है। मलाणा नदी के तट पे बसा ये गांव इस लिए भी पहचाना जाता है क्योंकि यहां अपना ही संविधान चलता है भारत का कानून नही। गांव में अपनी लोकसभा और राजयसभा है राज्यसभा यानि ऊपरी सदन में ग्यारह सदस्य होते है जिनमे से तीन तो तय होते है और बाकि का चुनाव होता है, एक के भी मरने पर दुबारा से चुनाव होते है। निचले सदन में गांव के हर परिवार का मुखिया सदस्य होता है। किसी भी जुर्म में पहले निचली अदालत फिर ऊपरी अदालत और संभव न हो तो फिर जमलू बाबा विवादों का निपटारा करते है इसके लिए भी पद्धति अद्भुत है। दोनों वादी अपने बकरे लाते है और उनकी टांगों को चिर के उसमे बराबर जहर भरा जाता है जो बकरा पहले मर जायेगा उस पक्ष की हार होती है और उसे अपील का अधिकार भी नही रहता है।