चमत्कारी नीम का पेड़ जिसके आधे पत्ते मीठे और आधे कड़वे

neem-tree rajsthan

पर्यटन। एक नीम का पेड़ ऐसा भी है जिसके आधे पत्ते मीठे और आधे पत्ते कड़वे। राजस्थान में टोंक जिले के मालपुरा में स्थित एक गांव भोपालाव जी के तीर्थ धाम में यह नजारा देखने को मिलता है। यहां नीम के पेड़ के जो पत्ते मंदिर के अंदर है, वह मीठे है और जो मंदिर के बाहर है वह कड़वे। बताया जाता है कि नीम का यह पेड़ कई सालों पुराना है, जिसकी कुछ शाखाएं मंदिर के अंदर है और कुछ शाखाएं मंदिर के बाहर। प्रकृति के इस अद्भुत चमत्कार को देखकर एक बार तो सभी चकित रह जाते हैं, लेकिन जब लोगों ने नीम के पत्ते बारी-बारी से चखे तो सभी को विश्वास करना पड़ा। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में प्रवेश करते ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं। सैंकड़ों साल पुराने इस मंदिर से सुदूर क्षेत्रों के हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। भारत वर्ष में आस्था के कई रंग देखे जाते हैं, जिनके साथ कई तरह के चमत्कार भी जुड़े हुए हैं। कुछ इसी की बानगी है भोपालाव जी का मंदिर, जहां नीम अपने स्वाभाविक गुण भी छोड़ चुका है। अब ये आस्था का चमत्कार है या विज्ञान का कोई रहस्य इसका पता तो विज्ञान के जानकार ही जाने। वहीं भोपालाव जी के मंदिर के नीम के पेड़ का रहस्य लोगों के लिए आज भी एक अनसुलझा रहस्य ही बना हुआ है। मंदिर के पुजारी और इतिहास के जानकारों का कहना है कि यह मंदिर जोधपुर के महाराजा बख्त सिंह जी का है, जिसमें महाराज बख्त सिंह के चरणचिन्ह और भगवान शिव का लिंग स्थापित है। इनकी पूजा-अर्चना करने से लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं। यहां के इतिहास के अनुसार जोधपुर के महाराज बख्त सिंह जी ने मालवा पर विजय के बाद जयपुर की ओर कूच किया था। जयपुर प्रांत के सिन्दोलिया गांव के पास सेना ने पड़ाव डाला था। इस मंदिर में दर्शनों के लिए हजारों लोग पहुंचते हैं और भगवान शिव और महाराज बख्त सिंह जी के दर्शन कर मन्नतें मांगते हैं।