राहुल गांधी के लिए बुंदेलखंड का दौरा ‘क्लबलाइफ’ की तरहः सुरेश खन्ना

proposed-map-of-bundelkhand (एस.डी अग्निहोत्री)
कानपुर। बुंदेलखंड 1987 के बाद से 19वें सूखे से जूझ रहा है।खरीफ के बाद रबी के मौसम में ज्यादातर खेत खाली पड़े हैं। पानी की कमी से जमीनें बंजर हो चुकी हैं। छह साल में 3,223 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इसके बावजूद बुंदेलखंड से सरकारों को सालाना 510 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। इतने भारी भरकम राजस्व के बावजूद भी यहां बंद पड़ी मनरेगा की परियोजनाओं को लेकर सरकार सचेत नहीं हैं। फसल की बर्बादी की एवज में किसानों के बीच 25 रुपये से लेकर 28 रुपये तक के चेक बांटने जैसे मामले जलते घाव पर नमक छिड़कने का काम करते हैं। जबकि कीमती ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर, इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरी मोरंग, बालू इसी इलाके में है।
23 जनवरी को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बुंदेलखंड जाने को तैयार हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी  बुंदेलखंड का दौरा करेंगे। उनका कहना है कि बुंदेलखंड के हालात को लेकर सरकार बेहद संवेदनशील है और यहां के हालात सुधारने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वह स्वयं इस क्षेत्र का दौरा कर जमीनी हकीकत जानेगें। बुंदेलखंड का हाल यह है कि लोग घास की रोटी खाने को मजबूर हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक घास की रोटी बनाते लोगों की एक फोटो खूब वायरल हुई जिसके बाद राजनीतिक सूरमाओं को इस क्षेत्र की फिर चिंता हुई। यह बात अलग है कि कुछ लोग इस बात का दावा कर रहे हैं कि जो रोटी दिखाई गयी है वह घास से नहीं बल्कि ‘फिकारा’ से बनी है, जो एक तरह का इस क्षेत्र का मोटा अनाज है।
बुंदेलखंड के कुल 13 जिलों में से सात उत्तर प्रदेश में जबकि छह मध्य प्रदेश में आते हैं लेकिन इन सभी जिलों में हालात एक जैसे ही हैं। बुंदेलखंड की असल समस्या सूखा है लेकिन सूखे की स्थिति से निपटने के लिए क्या किया जा रहा है? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बुंदेलखण्ड की समस्या कोई नई नहीं है।
भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुरेश खन्ना ने कहा है कि केन्द्र में 10 साल सरकार के दौरान बुंदेलखंड के लिए कुछ नही किया, किसानों और गरीबों से क्या लेना-देना उनके लिए बुंदेलखण्ड का दौरा ‘क्लबलाइफ’ की तरह ही है। सुरेश खन्ना ने बुंदेलखंड का दौरा किया है। खन्ना का कहना है कि  हालात बेहद खराब है। कई क्षेत्रों की हालत देखकर मन रुआसा हो गया। किसान कर्ज में डूबे है घरों में खाने को नहीं है। वह इस मामले को विधानसभा में उठाकर सरकार को घेरेगें। मौदहा ब्लाक (महोबा) हमीरपुर में नलकूप खराब पडे़ हैं। यहां के छह-सात गांवों की स्थित तो बेहद खराब हैं।  महोबा में एक गांव महेवा है, जहां के हालात अति गंभीर हैं पशुओं के लिए चारा तक नहीं है तालाब सूखे पडे़ है नलकूप खराब है।मुख्य सचिव आलोक रंजन के दौरे पर खन्ना कहा कि ‘‘ वह विकसित गांवों का दौरा करके वापस लौटे हैं, इसलिए उन्हे जमीनी हकीकत का पता नहीं हैं।
 कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुलगांधी के 23 जनवरी से प्रस्तावित दौरे से मीडिया ने क्षेत्र की बदहाली की चर्चा शुरू की है। जबकि विपक्ष 10 साल के केन्द्र सरकार के दौरान किये गए कामों को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। उप्र सरकार भी विकास करने के दावे के साथ टोटके अजमा रही है। किसानों के विरोध के बीच मुख्य सचिव आलोक रंजन ने महोबा जिले के चरखारी ब्लाक के गांव छानी खुर्द तथा कबरई ब्लाक के गांव रैपुरा कला मे चौपाल लगायी जिसमे जनप्रतिनिधियों तथा किसानों ने जिले मे पेयजल, सिंचाई तथा अन्ना पशुओं की समस्या की जानकारी ली।
दरअसल, विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी दलों को बुंदेलखंड की चिंता सताने लगती है। हर दल के नेता बुंदेलखण्ड का दौरा करने को व्याकुल हैं। यह कोई नई बात नहीं है। चुनाव खत्म होते ही बुंदेलखण्ड फिर अपनी बेबसी पर आंसू बहाने लगता है। (इनपुट, विश्ववार्ता से साभार)