ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अब घर बैठे ही आधार कार्ड से होगा बॉयोमीट्रिक

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लखनऊ। संभागीय परिवहन कार्यालय में जाकर घंटों लाइन में लगकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों को परिवहन विभाग अनोखी सौगात देने की तैयारी कर रहा है। आवेदकों को अब लाइसेंस के लिए बायोमीट्रिक कराने आरटीओ कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होगी। ड्राइविंग लाइसेंस को आधार कार्ड से जोड़कर परिवहन विभाग आवेदकों को यह सहूलियत देगा। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले आवेदक को प्रामाणिकता के मद्देनजर विभाग ड्राइविंग लाइसेंस को आधार कार्ड से जोड़ेगा। डीएल के आधार कार्ड से लिंकअप होने के बाद लोगों को बायोमीट्रिक कराने के लिए आरटीओ दफ्तर का चक्कर नहीं लगाना होगा। आधार कार्ड के जरिए ही उनकी बायोमिट्रिक संबंधी सारी जानकारी जुटा ली जाएगी।
दरअसल, ड्राइविंग लाइसेंस स्मार्ट कार्ड के लिए जो साफ्टवेयर अभी काम कर रहा है उसकी यह क्षमता नहीं है कि वह बायोमिट्रिक कराए व्यक्ति की पहचान अगूठे के अलावा अन्य उंगलियों के इंप्रेसन से कर सके। लेकिन आधार कार्ड का साफ्टवेयर थम्ब इंप्रेसन के अलावा अन्य उंगलियों के इंप्रेसन से भी व्यक्ति की पूरी जानकारी दे देता है। आधार कार्ड साफ्टवेयर की इसी प्रामाणिकता को ध्यान में रखते हुए इसका लिंकअप डीएल से किया जाएगा। जिसके बाद आसानी से आधार कार्ड के जरिए उस व्यक्ति से जुड़ी सारी जानकारी हासिल की जा सकेगी। इंटीग्रेटेड वेब वाहन सारथी साफ्टवेयर के जरिए यह व्यवस्था जल्द ही पूरे देश में एक साथ लागू की जाएगी।एनआईसी के नेशनल पोर्टल सर्वर सारथी पर अब ड्राइविंग लाइसेंस समेत गाडियों का सारा डेटा उपलब्ध होगा। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अुनसार 1 जनवरी 2015 से नेशनल पोर्टल पर सारी जानकारी डाल दी गई है। इसके पूर्व के वर्षों का सारा डेटा भी नेशनल पोर्टल सर्वर पर डालने की प्रक्रिया जारी है। सारथी साफ्टवेयर का सेंटर प्वाइंट दिल्ली होगा। सारथी साफ्टवेयर के जरिए परिवहन विभाग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में लोगों को आरटीओ कार्यालय जाने से छुटकारा दिलाने की तैयारी कर रहा है। डीएल बनवाने की ऑनलाइन व्यवस्था के जरिए लर्निंग लाइसेंस भी घर बैठे लेने की व्यवस्था कर रहा है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि चूंकि लर्निंग लाइसेंस कागज पर दिया जाता है और इसके लिए फार्म भरने की प्रक्रिया भी ऑनलाइन ही की जा रही है तो ऐसे में लर्निंग लाइसेंस के कागज के प्रति भी लोगों के पास ऑनलाइन ही भेज दिया जाए। इसके लिए लर्निंग लाइसेंस बनवाने वालों को आरटीओ दफ्तर जाने से छुटकारा मिलेगा। भारत सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए प्रथम चरण में सूबे के पांच जनपदों को चुना गया है। जिनमें बाराबंकी में सबसे पहले इस पर कार्य भी शुरू हो गया है। यहां पर प्रोजेक्ट के सही तरीके से काम करने के बाद अन्य जनपदों के आरटीओ कार्यालय के कर्मियों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके बाद अगले चरण में इस प्रोजेक्ट के तहत काम अन्य जनपदों में शुरु किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ के ट्रांसपोर्टनगर व महानगर आरटीओ कार्यालय, फैजाबाद व सीतापुर में इसका प्रारंभ किया जाएगा। इसके अलावा पूरे देश के आरटीओ कार्यालय से जुड़े काम एक ही सर्वर पर होने के चलते इसकी स्पीड काफी कम हो जाने की समस्या को ध्यान में रखते हुए सर्वर को रेडियो फ्रीक्वेंसी यानि आरएफ से जोड़ा जाएगा। जिससे नेट से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या आने पर रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए आसानी से काम चलता रहेगा। नेट के लिए बीएसएनएल की सेवा ली जाएगी। नेट की गति छह एमवीपीएस रखी गई है। साफ्टवेयर पर एक साथ काम शुरु होने के बाद नेट की स्पीड का परीक्षण किया जाएगा।