पटना। राष्ट्रीय स्तर के लॉ कॉलेज के ग्रेजुएट छात्रों का झुकाव कॉरपोरेट क्षेत्र की ओर होना ठीक नहीं है। आज 80 प्रतिशत लॉ ग्रेजुएट कारपोरेट क्षेत्र में जा रहे हैं। वे न्यायिक सेवा में जाना पसंद नहीं कर रहे। यह न्यायपालिका के लिए बड़ी चुनौती है।
गायघाट स्थित नवनिर्मित बिहार न्यायिक एकेडमी के उद्घाटन मौके पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि इसके समाधान के लिए सभी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
चीफ जस्टिस ने कहा, न्यायपालिका सहित इससे जुड़े तमाम संस्थानों की अधिक से अधिक आर्थिक मदद करने की जरूरत है। सभी राज्यों में न्यायिक एकेडमी की स्थापना भी जरूरी है। राष्ट्रीय न्यायिक एकेडमी और राज्य न्यायिक एकेडमी के बीच सामंजस्य भी होना आवश्यक है, ताकि न्यायपालिका से जुड़े लोगों को बेहतर प्रशिक्षण मिले।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाये रखने में न्यायपालिका का बड़ा योगदान है। कानून व्यवस्था बेहतर होगी तभी विकास होगा। केरल की बजाय झारखंड में ज्यादा मुकदमे दर्ज होते हैं। इसका कारण शिक्षा के प्रचार-प्रसार में कमी है। हालांकि, अब सुधार हो रहा है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि न्यायपालिका के सहयोग से ही बिहार में काफी मुकदमे का निपटारा हुआ। न्यायपालिका को जब भी और जितनी राशि की जरूरत होगी, बिहार सरकार प्राथमिकता के आधार पर मुहैया करायेगी।
इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह, पटना हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश आइए अंसारी सहित कई न्यायाधीश मौजूद थे। एकेडमी के प्रशासनिक अधिकारी आनन्द भूषण ने बताया कि यहां 80 न्यायिक पदाधिकारी प्रशिक्षण ले रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि यह उनका पहला बिहार दौरा है। इस राज्य के बारे में काफी सुना और पढ़ा है। यह राष्ट्रीय धरोहरों वाला राज्य है। यहां समय बिताना सौभाग्य की बात है।