सस्पेंस बरकरार: गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस

gumnami baba

लखनऊ। फैजाबाद-अयोध्या के गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे, यह रहस्य गहरा होता जा रहा है। गुमनामी बाबा के सामन की मुखर्जी आयोग ने जांच की थी। इसके बाद उन्हे फैजाबाद के जिला कोषागार में रख दिए गए थे। गुमनामी बाबा के 26वें व आखिरी बक्से में नेताजी के माता-पिता जानकीनाथ बोस और प्रभावती बोस की तस्वीरें मिलीं। पूरा सामान अयोध्या के रामकथा संग्राहलय में लोगों के लिए रखा जाएगा।
फैजाबाद के जिला कोषागार में रखे गुमनामी बाबा के सामान को अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में प्रदर्शित करने के लिए प्रशासकीय समिति की ओर से जांच की जा रही है। एक बक्से से नेताजी के माता-पिता की अलग-अलग तस्वीरों के अलावा उनके 11 भाई-बहनों की तस्वीर भी मिलीं। इनमें नेताजी खुद भी नजर आ रहे हैं। बक्से से नेताजी के भांजे-भांजियों के भी चित्र निकले।
जस्टिस मुखर्जी आयोग ने बक्से में मिले चित्रों की पहचान नेताजी की भतीजी ललिता बोस से कराई थी। उन्होंने सभी लोगों के नाम आयोग को बताए थे। भारत सरकार की ओर से गठित जस्टिस एमके मुखर्जी आयोग गुमनामी बाबा के सामानों में महत्वपूर्ण दस्तावेजों को छांटकर अपने साथ नई दिल्ली ले गया था जिसे बाद में राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखवाया गया। सामानों के साथ यह चित्र साथ में शामिल था। गुमनामी बाबा के सामानों में तमाम चीजें मिली है जिनमें जर्मनी की दूरबीन और इंगलैंड का टाइपराइटर भी है। पत्रों में आजाद हिंद फौज खुफिया विभाग के प्रमुख पवित्र मोहन राय के साथ आरएसएस के सरसंघचालक गुरू एमएस गोलवलकर के पत्र भी शामिल है। पत्र की भाषा संकेतों में है। गोलवलकर ने गुमनामी बाबा को पूज्यपाद श्रीमान विजयानंद जी महाराज कह कर संबोधित किया था। जिसमें उन्होने गुमनामी बाबा के तीन पत्रों के मिलने का जिक्र किया है।
एक चित्र नेताजी की किशोरावस्था का है, बगल में पिता जानकीनाथ बोस भी है। एक नेताजी के पिता व माता की फोटो है। पूरे परिवार की भी फोटो है। इसमें सुभाषचंद्र बोस, उनके भाई सुधीरचंद्र बोस, सतीशचंद्र बोस, शरतचंद बोस व सुरेशचंद्र बोस हैं, पिता जानकीनाथ व माता प्रभावती, उनकी तीन पुत्रियां व नाती-नातिन समेत परिवार करीब 22 सदस्य इस फोटोग्राफ में हैं। एक फोटो किसी कार्यक्रम की है, जिसमें पांच लोग माइक लगाकर कोई कार्यक्रम कर रहे हैं। एक फोटो में नेताजी के करीबी व फारवर्ड ब्लॉक के सांसद रहे समरगुहा श्रद्धांजलि अर्पित करने की मुद्रा में दिखायी पड़ रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि नेताजी की पौत्री राजश्री चौधरी ने पिछले दिनों उप्र के मु यमंत्री से मिल कर कहा था कि रामभवन में 1983 से 85 के बीच अज्ञातवास पर रहे गुमनामी बाबा को नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे। इस सच्चाई को सिद्ध करने के लिए उन्होंने 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू विमान दुर्घटना में नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच करने वाले मुखर्जी आयोग को फिर से सक्रिय करने की मांग की थी, ताकि गुमनामी बाबा के अज्ञातवास की सच्चाई पूरी तरह उजागर हो सके। जिला कोषागार में रखे गुमनामी बाबा के सामानों को संग्राहलय में रखने की मांग की थी। गुमनामी बाबा, सीतापुर के नैमिषारण्य में फिर बस्ती जिले में रहने के बाद अयोध्या पहुंचे थे। राजश्री ने कहा था कि वर्ष 2006 में मुखर्जी आयोग ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की वह जल्दबाजी में पूरी की गई। इसके बावजूद आयोग के रिपोर्ट से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि उसमें गुमनामी बाबा की नेताजी होने की संभावनाओं से इनकार किया गया है। खुद जस्टिस मुखर्जी ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा था कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस हो सकते है।