इसकी टोपी उसके सर: बिहार चुनाव के लिए यूपी से फंड जुटा रही बसपा

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विशेष संवाददाता

लखनऊ। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बसपा, उप्र से पैसे जुटा रही है। उन सभी नेताओं को जिन्हे पार्टी ने विधानसभा क्षेत्रों का प्रभारी बनाया है, उनसे 50 हजार से 10 लाख रूपये तक पार्टी फंड में जमा करने के लिए कहा गया है। इसके साथ पार्टी के सांसद व विधायकों व पूर्व मंत्रियों व विधायकों को भी पार्टी फंड में योगदान के लिए मौखिक रूप से निर्देश दिये गए है। च्बहनजीज् के आदेश के नाम पर पैसे जमा कराने का मौखिक फरमान पार्टी के समन्वयकों ने जारी किया है। बसपा नेताओं का कहना है कि प्रभारियों से पहले ही 50 लाख से 1 करोड़ की रकम पार्टी फंड में जमा करायी गई है।
उप्र में बसपा के प्रभारियों को पहले स्वेच्छा से पार्टी को आर्थिक सहयोग देने के लिए कहा गया। इसके बाद यह राशि पांच लाख रूपये कर दी गई। विधानसभा प्रभारियों ने पांच लाख जमा कर दिये तो समन्वयकों ने बिहार चुनाव के लिए फंड के लिए सहयोग राशि 10 लाख रूपये कर दिया। पार्टी के एक नेता ने कहा कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने चुनाव फंड जुटाने के लिए खुद सीधे कोई निर्देश नही दिया है। यह काम कोआर्डिनेटर से कराया जा रहा है। गौरतलब है कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने कई मौकों पर कहा है कि पार्टी पूंजीपतियों के बजाए पार्टी से जुड़े लोगो व समर्थकों से आर्थिक सहयोग लेती है। हरियाणा चुनाव के समय भी पार्टी फंड में 10-10 लाख रूपये लेने का आरोप लगे थे।
पिछले दिनों बसपा से अलग हुए महासचिव अखिलेश दास ने आरोप लगाया था कि बसपा में पैसे के बिना कोई काम नही होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 मे होने वाले विधानसभा चुनाव के लिये मायावती ने टिकट बटंवारे की जो नीति तय की है, उसके मुताबिक सुरक्षित सीटों पर टिकट के लिए 50 लाख और सामान्य सीटों के लिए 1 करोड़ रुपए की धनराशि तय की गयी है। दास के बाद बसपा से अलग हुए महासचिव व राज्यसभा सदस्य जुगल किशोर ने भी आरोप लगाया था कि बसपा में सुरक्षित क्षेत्रों के उम्मीदवारों को भी 60 लाख रूपये पार्टी में जमा करने के लिए कहा जाता है। वह बसपा में जोनल कोआर्डिनेटर थे और उनके बेटे के टिकट के लिए उनसे पैसे मांगें गए।