सीएम साहब, पिंक ऑटो को दिखाइये हरी झंडी

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वरिष्ठ संवाददाता

लखनऊ। शहर की महिलाओं को सुरक्षित सफर की सौगात देने के लिए सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने परिवहन विभाग को अन्य राज्यों की तर्ज पर राजधानी में भी पिंक आटो रिक्शा चलाने का निर्देश दिया था। लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद मुख्यमंत्री की इस महात्वाकांक्षी योजना पर विभाग ने अभी तक कोई भी ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते सूबे के मुखिया की इस योजना का खुलेआम मजाक उड़ रहा है। इसे अधिकारियों की लापरवाही ही कहा जाएगा कि राजधानी में सैकड़ों पिंक आटो पुरुष यात्रियों को भरकर दौड़ रहे हैं लेकिन इन पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही है। विभाग के उच्चाधिकारियों की गंभीरता का आलम तो देखिये कि उन्हें अब तक इस बात तक की खबर नहीं है कि शहर में सैकड़ों पिंक आटो महिलाओं के बजाय पुरुषों को भरकर सड़क पर दौड़ रहे है। जब जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी गई तब उन्होंने यह फैसला लिया कि अब जब पहले से ही शहर में पिंक आटो दौड रहे हैं तो अब मुख्यमंत्री से पिंक आटो को हरी झंडी नहीं दिखवाई जाएगी।
परिवहन विभाग के अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते ही महिलाओं को सुरक्षित सफर मुहैया नहीं हो पा रहा है। आए दिन महिलाओं के साथ बढ़ते अपराधों से व्यथित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कई महीने पहले महिलाओं को पिंक आटो चलवाने का निर्देश परिवहन विभाग को दिया लेकिन विभाग ने आनन-फानन में इस ओर कोई कदम उठाने के बजाय मुख्यमंत्री के निर्देश को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया। हालांकि शुरुआती दौर में दिखावे के रूप में ही सही विभागीय अधिकारियों ने शहर में संचालित आटो यूनियन के पदाधिकारियों को बुलाकर पिंक आटो चलाने के लिए उनसे आटो उपलब्ध कराने की औपचारिकता तो निभाई लेकिन कुछ ही दिनों में अधिकारियों ने इस ओर ध्यान देना ही छोड़ दिया। अधिकारियों के निर्देश पर यूनियन संचालकों ने शहर में संचालित हरे रंग के आटो को पिंक करा डाला। देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या में आटो हरे से गुलाबी हो गए। लेकिन इन सभी आटो में जीपीएस सिस्टम न लगे होने पर आपत्ति जताते हुए विभागीय अधिकारियों ने आटो यूनियन के संचालकों से इन सभी आटो को जीपीएस सिस्टम से लैस होने का निर्देश जारी कर दिया वह भी उनके अपने ही खर्चे पर। जिस पर भी कुछ आटो में यूनियनों की ओर से जीपीएस सिस्टम भी लगवा दिया गया। बावजूद इसके पिंक आटो को मूुख्यमं़त्री की हरी झंडी मिलने का इंतजार खत्म न हुआ। आखिरकार यूनियन ने अधिकारियों की अनदेखी को दरकिनार कर मई महीने में 1090 चैराहा पर आयोजित एक कार्यक्रम में एडीजी सुतापा सान्याल से लगे हाथ इन पिंक आटो को खड़ा कर हरी झंडी दिखवा दी। जिसके बाद मई महीने से ही पिंक आटो शहर के हर चैराहे पर नजर आने लगे। लेकिन आटो का रंग भले हरे से पिंक हो गया हो लेकिन मिजाज हरा वाला ही रहा यानि महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुरू किए गए ये पिंक आटो अपने पहले के हरे रंग को ही याद करते हुए पुरुषों को ही ढोने में मशगूल हैं। शहर में पिंक आटो के धड़ल्ले से संचालन की जानकारी जब परिवहन आयुक्त के रविंद्र नायक को दी गई तो वे इससे अनभिज्ञ थे। उनका जवाब था कि पिंक आटो को तो मुख्यमंत्री को हरी झंडी दिखानी थी तो इनका शहर में पहले से ही संचालन कैसे शुरू हो गया। बताया गया कि मई महीने में एडीजी सुतापा सान्याल पहले ही इन पिंक आटो को हरी झंडी दिखा चुके हैं तो परिवहन आयुक्त ही अबाक रह गए। उन्होंने अब इन पिंक आटो को मुख्यमंत्री से हरी झंडी न दिखवाने का फैसला लिया है। परिवहन आयुक्त ने बताया कि शासन को पिंक आटो के लिए कम से कम 100 नए परमिट खोल देने चाहिए, जिससे नए आटो पिंक आटो के रूप में सड़क पर संचालित हो सकें।
परिवहन आयुक्त के रवीन्द्र नायक ने कहा कि अभी तक सड़क पर जो भी पिंक आटो संचालित हो रहे हैं वे काफी पुराने हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री से इन पुराने पिंक आटो को हरी झंडी दिखवाने का कोई मतलब नहीं है। पिंक आटो के रूप में नए आटो ही रूट पर संचालित होने चाहिए।