सोच-समझकर मित्र बनाओ : संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

sant ravi

कुछ स्थानों पर लोग एक उच्च किस्म के गुलाब के साथ निम्नतर किस्म का गुलाब का पौधा लगा देते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि निम्नतर किस्म के गुलाब का परागण ;च्वससपदंजपवदद्ध अपने ही परागों से न हो जाए ताकि निम्नतर किस्म के गुलाब का वंष न चलता रहे। इस धारणा को यह रूपरेखा दी गई है ताकि परागण उच्चतर किस्म के गुलाबों से हो और निम्नतर किस्म के गुलाब का स्तर ऊँचा हो सके।

यह सिद्धांत हमारे अपने जीवन में भी हमारा मार्गदर्षन कर सकता है। यह कहा गया है कि कोई इंसान अपनी संगति से जाना जाता है। अगर हम अमीर बनना चाहते हैं तो हमें धनवान लोगों की सोहबत करनी चाहिए। ऐसा करके हम उनके जैसे सोचने और उनके जैसे कार्य करने लगेंगे और हो सकता है, हम भी अमीर हो जाएँ। अगर हम धावक बनना चाहते हैं तो हमें धावकों के साथ समय बिताना चाहिए। इस प्रकार हम उनके जैसा जीवन बिताने को प्रेरित होंगे। हम पाएँगे कि हम अधिक कसरत करेंगे, अपने आपको बलिष्ठ करेंगे, आहार पर ध्यान देंगे और दौडऩे का अभ्यास करेंगे। अगर हम लेखक बनना चाहते हैं तो हमें लेखकों की संगति में रहना चाहिए और उस कला का अनुसरण करने के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए।
इसी प्रकार अगर हम आध्यात्मिक रूप् से विकसित होना चाहते हैं तो हमें ऐसे लोगों की संगति में रहना चाहिए जो स्वयं आध्यात्मिक रूप से विकसित हो चुके हैं। ऐसे लोगों के बीच में हम आत्मा-परमात्मा के सोच-विचार में अधिक समय व्यतीत करेंगे, आध्यात्मिक विषयों पर बातचीत करेंगे और आध्यात्मिक अभ्यासों में समय बिताएँगे। अगर हम किसी ऐसे के साथ समय व्यतीत करेंगे, जो ध्यान-अभ्यास करता हो, तो हो सकता है हम भी ध्यान-अभ्यास करने लगें। अगर हम उन लोगों की संगति में रहेंगे जो सदाचारी जीवन और सद्गुणों को महत्त्व देते हैं तो हम पाएँगे कि हम भी वैसा ही करने लगेंगे।
हम अपनी संगति पर ध्यान दें। क्या हम ऐसे मित्र चुनते हैं जो कि हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए हमें गलत विकल्पों की ओर ले जाते हैं या हम ऐसे दोस्त चुनते हैं जो हमें आध्यात्मिक जीवन जीने में मदद करते हैं? जब हम गर्म होना चाहते हैं तो हम आगे के पास बैठते हैं। जब हम ठंडा होना चाहते हैं तो वातानुकूलक या बर्फ की सिल्ली के पास बैठते हैं। जब हम आध्यात्मिक जीवन जीना चाहते हैं तो हम आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले व्यक्ति ढूँढ सकते हैं और उनके साथ समय बिता सकते हैं।
अगर सौभाग्य से हमें किसी ऐसे की संगति मिले जोकि आध्यात्मिक अनुभवों को पा चुका है तो वह संगति और भी अच्छी है। ऐसे व्यक्ति से रूहानियत चारों ओर प्रसारित होती है, जिसके द्वारा हम रूहानी तौर से जाग सकते हैं। ऐसी हस्ती के नजदीक आकर हमारा ध्यान जीवन के आध्यात्मिक मूल्यों की ओर जाता है। वहाँ का वातावरण सीधे हमारी आत्मा से संपर्क करता है। जो कोई अपनी आत्मा को जान लेता है, उसकी ओर हमारी आत्मा खिंची जाती है। उसकी चुंबकीय शक्ति हमें ऊपर खींच लेती है और हमारा ध्यान अंतर में मौजूद रूहानी खज़ानों की ओर टिक जाता है।
अगर हम अपने ध्यान-अभ्यास में सुधार चाहते हैं तो हम सोचें कि हम अपना समय कैसे बिताते हैं। अगर हम समय आध्यात्मिक रूप से जागृत और अध्यात्म में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के साथ बिताते हैं तो हम पाएँगे कि हमारा ध्यान अधिक एकाग्र रहेगा और हमारा ध्यान-अभ्यास अधिक फल देगा। अपनी संगति को समझदारी से चुनकर हमें आध्यात्मिक पथ पर तरक्की करने में मदद मिलेगी।