हाथी के बाद कमल के साथ हो लिये स्वामी प्रसाद मौर्या

swami-prasad-maurya-लखनऊ। बसपा के पूर्व दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्या सोमवार को भाजपा में शामिल हो गये। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और अन्य दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में स्वामी प्रसाद मौर्या ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। बीजेपी में शामिल होने से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने ओम माथुर, केशव मौर्या और राजनाथ सिंह से की मुलाकात की। मौर्या ने 22 जून 2016 को मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए बसपा से किनारा कर लिया था। उन्होंने मायावती पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह दलित की नहीं, बल्कि दौलत की बेटी हैं।
बड़ी राजनीतिक हैसियत रखते हैं स्वामी प्रसाद मौर्यकानपुर और बुन्देलखण्ड मण्डल में मौर्य समाज के काफी वोट हैं। वहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी कई सीटों पर मौर्य समाज के वोट निर्णायक भूमिका में हैं और ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्या से भारतीय जनता पार्टी को काफी उम्मीद जरूर होगी। यूपी की मजबूत पिछड़ी जातियों की बात करें तो यादव समाज मुलायम के पीछे खड़ा है। कुर्मियों के लिए बेनी प्रसाद वर्मा और अनुप्रिया पटेल हैं। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्या खुद को इस जाति के नेता के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, भाजपा में पहले भी मौर्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए पार्टी ने केशव प्रसाद मौर्या को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो स्वामी प्रसाद मौर्या पूर्वांचल की सहित पूरे यूपी के अन्य जिलों में करीब 25-30 सीटों पर दबदबा है। अगर वो 10 फीसदी वोटरों को भी बीजेपी के पक्ष में लाने में सफल रहे तो भाजपा को बड़ा फायदा हो सकता है।
आठ फीसदी के करीब हैं वोटरयादव, कुर्मी और लोध के बाद मौर्या पिछड़ी बिरादरी में सबसे बड़ा जाति समूह है। इस जाति समूह में मौर्य, कुशवाहा, सैनी, शाक्य, काछी और मुराव जातियां आती हैं। इनकी आबादी करीब 8 फीसदी के आसपास है।