दलित स्मारकों को लेकर मायावती पर लटकी तलवार

akhilesh-yadav-mayawatiलखनऊ। यूपी सरकार ने भी मायावती के शासनकाल के दौरान नोएडा और लखनऊ में बने दलित स्मारकों से संबंधित कथित भ्रष्टाचार के मामलों में जांच तेज कर दी है। इस बात की जानकारी यूपी सरकार ने गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में दी।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, जो स्मारक और पार्क जांच के दायरे में हैं उनमें अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, डा कांशीराम स्मारक स्थल, गौतम बुद्ध उपवन, इको पार्क और नोएडा के अंबेडकर पार्क शामिल हैं। सपा सरकार द्वारा यह जवाब सुप्रीम कोर्ट के उस सवाल के बाद आया है जिसमें कोर्ट ने अखिलेश सरकार से पूछा था कि मायावती सरकार में 2007 से 2011 के दौरान मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ लोकायुक्त रिपोर्ट में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर अभी तक क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।
अधिवक्ता रवि पी मेहरोत्रा के माध्यम से सतर्कता विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 30 नवंबर, 2013 को सपा सरकार के आदेश के बाद भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं में धारा 409 (आपराधिक विश्वास हनन) के तहत 2014 लखनऊ में सिद्दीकी सहित कई व्यक्तियों पर एक मामला दर्ज किया गया। मामले में 2007 और 2011 के बीच नोएडा और लखनऊ में बने स्मारकों और उद्यानों के निर्माण में प्रयोग होने वाले पत्थरों की सप्लाई में अनियमिताएं बरती गयी थीं।
सरकार ने कोर्ट को बताया है कि इस मामले में जरूरी जांच जारी है और उपरोक्त पांच स्मारक स्थलों का निरीक्षण किया जा चुका है। विभिन्न विशेषज्ञों की राय ली जा चुकी है। अभी तक 170 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। और अधिकतर दस्तावेज प्राप्त हो चुके हैं।
लोकायुक्त ने अपनी जांच में पाया था कि मायावती सरकार ने स्मारकों के बनाने में 1400 करोड़ के घोटाले हुए जिसमें उनके कबीना मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत कई लोग शामिल थे। लोकायुक्त ने इनसे पैसे वसूलने की बात कही थी।