देश में रक्षाबंधन की धूम: बहनों ने सजायी भाइयों की कलाई

Raksha-Bandhanनई दिल्ली। देशभर में रक्षाबंधन का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। सनातनधर्मियों के प्रमुख चार पर्वों में से एक रक्षाबंधन का विशिष्ट स्थान है जो श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पर्व को श्रावणी या रक्षाबंधन कहते हैं। भोर में 3.28 बजे भद्राकाल समाप्त होने के बाद शुभ मुहूर्त शुरू हुआ है। जो दोपहर 3.02 तक रहेगा। इस अवधि में बहनें अपने भाइयों को रक्षासूत्र बांधेंगी।
शास्त्र सम्मत है कि इस पर्व में पराव्यापिनी तिथि ली जाती है। यदि वह दो दिन हो या उस दिन भद्रा हो तो उसका त्याग करना चाहिए। भद्रा में रक्षा पर्व और फाल्गुनी दोनों वर्जित है, क्योंकि श्रावणी में राजा और फाल्गुनी में प्रजा का अनिष्ट होता है। इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन है। 17 को व्रत की पूर्णिमा के साथ ही काशी में हयग्र्रीवोत्पत्ति पर भदैनी स्थित मंदिर में दर्शन-पूजन का विधान होता है। वहीं, रक्षाबंधन यानी 18 अगस्त वैदिक ब्राह्मïण उपाकर्म भी करेंगे।
ज्योतिषाचार्य पंडित संजय पांडे के अनुसार पूर्णिमा तिथि 17 अगस्त को शाम 3.51 बजे लगी है। जो 18 अगस्त को 3.02 बजे तक रहेगी। वहीं भद्रा 17 अगस्त को शाम 3.51 बजे लग रहा है जो 18 की भोर 3.26 बजे तक रहेगा। सब मिलाकर कई वर्षों बाद बहनें इस बार 18 अगस्त को सुबह से दिन में 3.02 बजे तक राखी बांध सकेंगी। 3.02 बजे के बाद श्रावण मास समाप्त होकर भाद्र मास शुरू जाएगा। पहला शुभ लग्न सुबह 6.04 बजे से 7.40 तक. उसके बाद 10.54 बजे से 12.31 तक उसके बाद दोपहर में 3.44 तक भी राखी बांधा जा सकता है। इसके बाद भी अगर आप किसी वजह से अपने भाई को राखी न बाँध पाईं हो तो आपके लिए एक और लग्न है वह है 5.21 बजे से लेकर 6.41 तक।