भरत झुनझुनवाला।
केन्द्र सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ दिया जाएगा। राशन, मनरेगा, केरोसीन, एलपीजी गैस, फर्टिलाइजर आदि पर मिलने वाली सब्सिडी लाभार्थियों के खाते में सीधे डाली जाएगी। सरकार के इस कदम का स्वागत है। सर्वविदित है कि इन सब्सिडियों में फर्जीवाड़ा व्याप्त है। एशियन डेवलेपमेंट बैंक द्वारा कराए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 70 प्रतिशत राशन सब्सिडी गैर गरीबों द्वारा उठाई जा रही है। राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से भेजे गए एक रुपए में से मात्र 15 पैसे लाभार्थी के पास पहुंचते हैं। आधार से जोड़े जाने के कारण निश्चित रूप से अधिक रकम लाभार्थी के पास पहुंचेगी।
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बावजूद इस पालिसी पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। इस विषय पर गुरुदेव रविंद्रनाथ ठाकुर हमारा मार्गदर्शन करते हैं। 1904 में उन्होंने लिखा: ”आज बंगालियों की चित्तधारा गांव से बिछड़ गयी है। आज पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सरकार की है। स्वास्थ्य सेवा की जिम्मेदारी सरकार की है। शिक्षा के लिये भी सरकार के दरवाजे दस्तक देनी होती है। समाज का वह वृक्ष जो स्वयं फूलों की वर्षा करता था, आज अपनी नंगी डालों से आकाश से पुष्प वर्षा की याचना कर रहा है।ÓÓ
गुरुदेव की सोच थी कि समाज को सक्षम बनाया जाए कि वह अपनी जरूरतों की व्यवस्था स्वयं संयोजित कर सके। जैसे गांव के लोगों के हाथ में पर्याप्त आय हो तो वे उच्च कोटि के इंगलिश मीडियम स्कूल स्थापित कर सकते हैं। अथवा पास के कस्बे में उपलब्ध इंगलिश मीडियम स्कूल में बच्चे को भेज सकते हैं। तब शिक्षा उपलब्ध कराने में सरकार की भूमिका नहीं रह जाएगी। लेकिन यह व्यवस्था तब ही कार्यान्वित हो सकती है जब ग्रामीण जनता के हाथ में पर्याप्त आय हो, जिससे वे प्राइवेट स्कूल की 1000 रुपए प्रति माह की फीस अदा कर सकें। इसी प्रकार खाद्यान्न के दाम ऊंचे हों और उसकी आय पर्याप्त हो तो किसान द्वारा फर्टिलाइजर को बाजार भाव पर खरीदा जा सकता है। आम आदमी की दिहाड़ी पर्याप्त हो तो वह राशन, केरोसीन अथवा एलपीजी गैस भी बाजार भाव पर खरीद सकता है। बाजार में 400 रुपए की दिहाड़ी को रोजगार उपलब्ध हो तो मनरेगा की जरूरत ही नहीं रह जाएगी। गुरुदेव का कहना था कि अर्थव्यवस्था ऐसी हो कि हर परिवार इन सुविधाओं को अपने बल पर हासिल कर सके।
अब तक की सरकारी नीति इसके ठीक विपरीत रही है। किसान को खाद्यान्न के उचित दाम न देकर तथा श्रमिक की दिहाड़ी न्यून रखकर उसे गरीब बनाए रखा गया। इसके बाद सरकारी तंत्र के माध्यम से उन्हें यही सुविधाएं सब्सिडी देकर उपलब्ध कराई गईं। आम आदमी तक सब्सिडी पहुंचाने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है कि किसान द्वारा उत्पादित खाद्यान्न एवं आम आदमी की दिहाड़ी में पर्याप्त वृद्धि की जाए कि उसे मनरेगा, फर्टिलाइजर, राशन, केरोसीन तथा एलपीजी गैस के लिए सरकारी व्यवस्था के सामने याचना ही न करनी पड़े।
दूसरी श्रेणी का उपाय है कि आम आदमी के नाम पर दी जा रही तमाम सब्सिडी को एक सम्मिलित फन्ड में डाल कर सीधे हर परिवार के खाते में ट्रान्सफर कर दिया जाए। डायरेक्ट बेनेफिट ट्रान्सफर के स्थान पर डायरेक्ट सम्मलित नगद ट्रान्सफर किया जाए। वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा लगभग 9 लाख करोड़ रुपए तमाम कल्याणकारी कार्यक्रमों पर हर वर्ष खर्च किए जा रहे हैं। इस रकम को देश के 30 करोड़ परिवारों के खाते में सीधे डाल दें तो 30,000 रुपए प्रति परिवार प्रति वर्ष इसी रकम से दिए जा सकते हैं। इस 30,000 रुपए से परिवार द्वारा राशन, केरोसीन तथा फर्टिलाइजर खरीदा जा सकता है। इस व्यवस्था में जनता याचक तो बनी रहती है परन्तु हर सुविधा के लिए अलग-अलग सरकारी अधिकारियों के सामने याचना करने से मुक्ति मिल जाती है। याचना का सरलीकरण हो जाता है।
इससे नीचे तीसरी श्रेणी का उपाय है कि सब्सिडी के तमाम स्रोतों का जंजाल बनाए रखा जाए। जैसे राशन सब्सिडी के लिए राशन कार्ड बनवाना जरूरी हो, एलपीजी सब्सिडी के लिए एलपीजी का कनेक्शन लेना जरूरी हो, इंदिरा आवास के लिए बीपीएल कार्ड जरूरी हो, इत्यादि। लेकिन इन तमाम सब्सिडी को एक ही आधार कार्ड से लिंक कर दिया जाए। लाभार्थी को राशन कार्ड बनवाने और एलपीजी कनेक्शन लेने तथा मनरेगा में काम करने के जंजाल से तो गुजरना होगा लेकिन इसके बाद उसे हर विभाग के पास सब्सिडी पाने के लिए चक्कर नहीं काटने होंगे। इससे लाभार्थी की दौड़ निश्चित रूप से कम होगी। इस दिशा में केन्द्र सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ दिया जाएगा।
लाभार्थी तक सब्सिडी पहुंचाने का निकृष्टतम उपाय अब तक की प्रचलित व्यवस्था थी। इसके अंतर्गत लाभार्थी को हर सब्सिडी को प्राप्त करने की याचना अलग-अलग विभागों के अधिकारियों के सामने करनी पड़ती थी। जैसे खाद्यान्न सब्सिडी के लिए पहले राशन कार्ड बनवाना, फिर राशन की दुकान से निर्धारित तिथि को राशन उठाना होता है। एलपीजी सब्सिडी के लिए गैस कंपनी को अपने बैंक खाते का ब्योरा अलग से उपलब्ध कराना होता है। मनरेगा के अंतर्गत प्रधानजी से पहले रोजगार की याचना, फिर पेमेंट की याचना करनी पड़ती है। केन्द्र सरकार ने इस जंजाल से लाभार्थी को आधी मुक्ति दिलाने का मन बनाया है। मनरेगा खाद्यान्न और एलपीजी सब्सिडी उसके बैंक खाते में एक ही आधार नंबर के सहारे पहुंच जाएगी।
आम आदमी को सब्सिडी पहुंचाने के चार स्तर बनते हैं। श्रेष्ठतम स्तर है कि ऐसी आर्थिक नीतियां लागू की जायें कि आम आदमी आर्थिक रूप से सक्षम हो जाए। उसे बाजार से रोजगार उपलब्ध हो और दिहाड़ी इतनी हो कि वह अपने बल पर बाजार भाव पर राशन तथा एलपीजी सिलेंडर खरीद सके। यह गुरुदेव रविंद्रनाथ ठाकुर का दिखाया रास्ता है। सब्सिडी पहुंचाने का द्वितीय स्तर है कि सभी सब्सिडी पर व्यय की जा रही रकम को एक फन्ड में डाल कर सीधे लाभार्थी के खाते में डाल दिया जाए। तीसरा स्तर है कि तमाम सब्सिडी अलग-अलग जारी रखी जायें परन्तु इन्हें एक ही आधार नंबर से लिंक कर दिया जाए, जिससे सभी सब्सिडियां एक ही रास्ते उसके खाते में पहुंच जायें। यह केन्द्र सरकार ने लागू करने का निर्णय लिया है। चौथा स्तर है कि तमाम सब्सिडी अलग-अलग जारी रखी जायें और इन्हें प्राप्त करने के लिए अलग-अलग विभागों के पास याचक को जाना पड़े। यह यूपीए सरकार का निकृष्ट फार्मूला था, जिसे वर्तमान सरकार त्याग रही है। सरकार को निकृष्टतम चौथे स्तर को त्याग कर तीसरे स्तर की तरफ बढऩे के लिए बधाई। लेकिन जरूरत लांघ कर पहले स्तर तक पहुंचने की है। हम बहुत धीरे चल रहे हैं।