पत्रकार आवास मामला: नोटिस के बाद सीएम का मिला आश्वासन

letterलखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य संपत्ति विभाग ने कुल 586 सरकारी आवासों का आवंटन निरस्त कर दिया है. इनमें एनजीओ, संस्थाओं के मनोनीत पदाधिकारियों, वरिष्ठ पत्रकारों आदि को आवंटित सरकारी आवास शामिल हैं. सभी को 31 अगस्त तक सरकारी आवास खाली करने का आदेश दे दिया गया है।
लखनऊ के कई बड़े पत्रकार भी आ गए हैं. इनमें कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं- रामदत्त त्रिपाठी, कमाल खान, प्रमोद गोस्वामी, योगेश मिश्रा, श्रेय शुक्ला, हेमंत तिवारी आदि. कमाल खान आदि ने सरकारी आवास में लाखों खर्च करके उसे भव्य बना दिया था, यह मान कर कि अब यह कभी खाली होने वाला नहीं है।
सरकारी मकान रखने वाले अस्सी प्रतिशत पत्रकार वो हैं जो मुख्यमंत्री कोटे से लखनऊ के पत्रकारपुरम के आसपास प्लाट भी ले लिए हैं. कइयों ने तो अपना मकान किराए पर दे दिया है और रहते सरकारी आवास में हैं. भड़ास के पास आदेश की एक प्रति है जिसे मो. इशहाक नामक संवाददाता को भेजा गया है. ऐसे ही आदेश दूसरे कई पत्रकारों को भेजे गए हैं. आदेश की कापी को उपर प्रकाशित किया गया है।
वहीं दूसरी ओर मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने सीएम अखिलेश यादव से मिलकर पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को आवंटित आवास खाली न कराये जायें क्योंकि आवास की समस्या से पत्रकार जूझ रहे हैं। सीएम ने श्री तिवारी को आश्वस्त किया है कि पत्रकारों के मकान नहीं खाली कराये जायेंगे।