किराए की कोख के कारोबार पर कसेगा शिकंजा

pregnentनई दिल्ली (आरएनएस)। केंद्रीय कैबिनेट ने उस विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसमें किराये की कोख वाली मां के अधिकारों की रक्षा के उपाय किए गए हैं तथा इस तरह के बच्चों के अभिभावकों को कानूनी मान्यता देने का प्रावधान है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार किराये की कोख मसौदा विधेयक 2016 का लक्ष्य देश में किराये की कोख संबंधी प्रक्रिया के नियमन को समुचित ढंग से अंजाम देना है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट ने इस विधेयक को संसद में पेश करने को अनुमति दे दी। मंत्रियों के एक समूह ने हाल में इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी थी तथा इसे अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा था. मंत्रियों के समूह का गठन प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से किया गया था। स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के अलावा वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर भी जीओएम में शामिल थीं। सरकार ने हाल में स्वीकार किया था कि वर्तमान में किराये की कोख संबंधी मामलों को नियंत्रित करने के लिए कोई वैधानिक तंत्र नहीं होने के चलते ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों सहित विभिन्न क्षेत्रों में किराये की कोख के जरिए गर्भधारण के मामले हुए, जिनमें शरारती तत्वों द्वारा महिलाओं के संभावित शोषण की आशंका रहती है।
इस विधेयक पर 27 अप्रैल को भी कैबिनेट को विचार करना था, लेकिन इसे अंतिम समय में एजेंडा से निकाल दिया गया। सूत्रों ने बताया कि महिलाओं विशेषकर ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों की महिलाओं के शोषण को रोकने के लिए सरकार ने विदेशियों के लिए देश में किराये की कोख की सेवाएं लेने पर प्रतिबंध का प्रावधान विधेयक में किया है। सरकार ने हाल में संसद में कहा था कि मसौदा विधेयक के प्रावधानों को इस तरह बनाया जा रहा है कि किराये की कोख से उत्पन्न होने वाले बच्चों के अभिभावकों को कानूनी दर्जा और इसे पारदर्शी स्वरूप देने का प्रावधान होगा।