हाउसिंग फार ऑल स्कीम से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार

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मुंबई। केंद्र सरकार की हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम से अगले सात सालों में अर्थव्यवस्था में 15 लाख करोड़ रुपये के आने की संभावना है। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्कीम की सफलता मौजूदा शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, तेज मंजूरी प्रक्रिया और वास्तविक लाभार्थी के लक्ष्य पर निर्भर करेगी। इंडिया रेटिंग्स द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम से अर्थव्यवस्था को अगले सात सालों के दौरान सीधे तौर पर 15 लाख करोड़ रुपये का फायदा होगा। सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये एक बड़े निवेश और निर्माण के लिए स्टील और सीमेंट जैसे कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता इस स्कीम को पूरा करने की सबसे बड़ी चुनौती है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस स्कीम का वित्तीय प्रभाव राज्य स्तर पर होगा। इसमें कहा गया है कि इस स्कीम का सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल को होगा, जहां घरों की मांग सबसे ज्यादा है। इसके अलावा कंस्ट्रकशन से जुड़े उद्योगों जैसे कि सीमेंट, लोहा व स्टील आदि को भी काफी फायदा होगा, जिससे अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों को भी रफ्तार मिलेगी। नरेंद्र मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत दो करोड़ लोगों को वित्त वर्ष 2016 से 2022 के बीच सात चरणों में घर मुहैया कराया जाएगा। योजना के तहत केंद्र सरकार कच्चे मकानों और स्लम के हर घर को एक लाख रुपये की मदद राज्य सरकार के माध्यम से और डेढ़ लाख रुपये की मदद सीधे तौर पर देगी। इसके अलावा सरकार घर खरीदारों को 15 साल के लिए ‘ब्याज सहायता योजनाÓ के तहत बाजार दर से कम रेट से महज 6.5 फीसद की दर पर होम लोन उपलब्ध कराएगी। यह लोन हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और नेशनल हाउसिंग बैंक के जरिये उपलब्ध कराया जाएगा।