![vidhansabha up](https://www.jansandesh.com/wp-content/uploads/2016/02/vidhansabha-up-300x160.jpg)
निषाद ने कहा कि सपा के शासन में गोत्र व क्षेत्र विशेष के यादवों व बसपा के शासन काल में जाटवों को ही तरजीह दी जाती है। प्रदेश में हर स्तर पर सपा द्वारा अतिपिछड़ों का उत्पीड़न किया जा रहा है। थाने पुलिस द्वारा भी गैर यादवों के साथ पक्षपात पूर्ण कार्य किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सामाजिक समीकरण में सवर्ण जातियों की संख्या 20.95 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों की संख्या-20.53, जनजातियों की संख्या-0.57 प्रतिशत व अन्य पिछड़े वर्ग की संख्या 57.95 प्रतिशत तथा सामान्य व पसमान्दा मुसलमानों की सवर्ण व अन्य पिछड़े वर्ग में 16.80 प्रतिशत आबादी है। अन्य पिछड़े वर्ग में यादव 10.49, निषाद 10.25, मौर्यध्कुशवाहा-4.85 प्रतिशत, कुर्मी-4.10, पालध्बघेल-2.90, लोधीध्किसान-3.60, चैहान , साहू 1.05, राजभर-1.10, जाट-1.71 प्रतिशत हैं। सामाजिक न्याय समिति-2001 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण जनसंख्या में पिछड़ाध्यादव-10.49, लोधी, कुर्मी, जाट, गूजर, सोनार, गोसाई, अरकवंशी- 10.22 तथा शेष 70 अत्यन्त पिछड़ी जातियों की संख्या-33.34 प्रतिशत थी।
श्री निषाद ने बताया कि निषाद-कुर्मी मिलकर 98, निषाद-लोधी 61, निषादध्कश्यपध्बिन्द-कुशवाहाध्मौर्यध्शाक्य-49, निषाद-चैहान 21, निषाद-राजभर 24, निषाद-जाट 23, निषाद-गूजर 11, व निषाद-पालध्बघेल मिलकर 8 सीट जीत सकते हैं। उत्तर प्रदेश की 170 से अधिक सीटें निषाद, कश्यप, बिन्द व मुसलमान मिलकर जीतने की स्थिति में हैं। आगामी विधान सभा चुनाव में अतिपिछड़ा व अतिदलित समाज सपा व बसपा के विरूद्ध बहुमत के साथ मतदान कर अपनी ताकत का एहसास करायेगा।