रिजर्व बैंक ने निवेशकों को फर्जी विज्ञापनों से चेताया

rbiकोलकाता (आरएनएस)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लोगों को धोखाधड़ी और फर्जी दावों से आगाह किया है। आरबीआई ने जोर देकर कहा है कि कहीं भी इन्वेस्ट करने से पहले वे तथ्यों की अच्छी तरह जांच कर लें। इन दिनों फर्जी विज्ञापनों की संख्या लगातार बढ़ रही है जिसकी वजह से रिजर्व बैंक ने निवेशकों को चेताया है।
इसके एक दिन पहले सेन्को जूलरी पैलेस आभूषण के निवेशकों ने दावा किया था कि उन्हें फर्जी विज्ञापनों से फंसाने की कोशिश की गई। मदन कोली ने कंपनी में 10 लाख रुपये इन्वेस्ट किए थे। उन्होंने बताया कि आकर्षक विज्ञापन देखकर ही वह यहां निवेश करने के लिए राजी हुए। उन्होंने कहा,जूलरी इंडस्ट्री में ऐसी स्कीम्स काफी आम हैं। इस बारे में टीवी और अखबार में ऐड थे। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि यह नतीजा भुगतना पड़ेगा। सोनापुर की अनीता अधिकारी ने मंथली इन्वेस्टमेंट स्कीमके तहत कंपनी में ढाई लाख रुपये इन्वेस्ट किए थे। उन्होंने धनवृद्धि और स्वर्णतृषा नाम की दो स्कीमों के ऐड होर्डिंग्स पर देखा था।अनीता ने दो साल पहले कंपनी में जो पैसे जमा किए थे, वह उन्हें वापस ही नहीं किए गए।
आरबीआई के मुताबिक,ऐसे विज्ञापन असामान्य रूप से बहुत ज्यादे रिटर्न का वादा करते हैं और लोग इनके झांसे में आकर अपनी पूंजी गंवा बैठते हैं। ऐसे 200 मामले दर्ज किए जा चुके हैं जिसमें कंपनियों ने मिसलीडिंग ऐड देकर निवेशकों से पैंसे ऐंठ लिए। रिजर्व बैंक की रीजनल डायरेक्टर रेखा वरियार ने कहा,ऐसी गैरकानूनी कंपनियों को न तो सेबी की मंजूरी होती है और न ही आरबीआई की। ये भ्रामक विज्ञापनों का सहारा लेकर बाजार से पैसा इक_ा कर रही हैं। लोग लुभावने ऐड देखकर इनके जाल में फंस जाते हैं।
हालांकि आरबीआई की जूलर्स की मंथली इन्वेस्टमेंट स्कीम्स से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन इसने लोगों को निवेश करने से पहले दावों की अच्छी तरह पड़ताल करने की सलाह दी है। वरियार ने कहा,ऐसी कंपनियां भी हैं जो बहुत कम कागजातों और ब्याज पर लोन देने का दावा करती हैं। ऐसे मामलों में लोग आखिरकार लोग ठगे ही जाते हैं। सेन्को जूलरी ने दावा किया था उन्हें सेबी और रिजर्व बैंक दोनों से मंजूरी मिली हुई है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं था।
पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सौरिन घोषाल ने बताया कि कंपनियों ने लोगों का भरोसा जीतने के लिए अपने डॉक्युमेंट्स से छेड़छाड़ की थी। ऐसे करीब 3,000 निवेशक हैं जिन्हें अभी तक अपने पैसे वापस नहीं मिले हैं।