सीएम साहब: यूपी में आईएएस व आईपीएस क्यों हो रहे हैं बगावती

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विशेष संवाददाता
लखनऊ। यूपी पुलिस के डीएसपी शैलेन्द्र सिंह का केस शायद आपको याद होगा। हाल में आईपीएस अमिताभ ठाकुर यूपी सरकार से मोर्चा ले रहे हैं। अब एक और आईएएस ने वीआरएस का मन बना लिया है। आखिर यूपी में हो क्या रहा है इस पर जनता के मन काफी उथल पुथल है।
मालूम होकि यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह ने कई गंभीर मुद्दों को उठाते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन किया है।
मुख्य सचिव आलोक रंजन को भेजे पत्र में सिंह ने कहा है कि वह वीआरएस लेना चाहते हैं। उनके आवेदन को मंजूर किया जाए। पत्र में सिंह ने लिखा है कि यूपी में निष्ठा से काम करना मुश्किल हो रहा है। सार्वजनिक उद्यम विभाग के प्रमुख सचिव सिंह ने कहा कि अब सरकार को इस पर फैसला लेना है।
यूपी की राजनीति पर करारा प्रहार करते हुए सिंह ने कहा कि पहले आईएएस जब किसी जिले का कलेक्टर बनता था तो उसका अत्यधिक सम्मान होता था। वह पूरी ईमानदारी, कार्यकुशलता, संवेदनशीलता, मेहनत और लगन के साथ काम करके जिले का कायापलट करने का जज्बा रखता था, आज की परिस्थिति कुछ और ही नजर आती है। होता यह है कि अगर कोई अधिकारी निष्ठा से काम करता है तो स्थानीय राजनीतिक लोग उसे सही रास्ते पर चलने ही नहीं देते। स्वार्थवश या कार्यकर्ताओं के बहाने राह में रोड़ा अटकाते हैं। जरा-जरा सी बात पर अधिकारी के सिर पर निलंबन या स्थानांतरण की तलवार लटकना आम बात है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी अफसर ने जनप्रतिनिधि, यहां तक कि सत्तारूढ़ दल के छुटभैये नेता की भी सही-गलत बात नहीं मानी तो भी अधिकारी की मुश्किल बढ़ जाती है। यही कारण है कि आज अफसरों ने भी अपने आप को राजनेताओं की मंशा के अनुरूप ही ढालने में भलाई समझी है और बहती गंगा में हाथ धोने को ही अपनी कार्यशैली का अंग बना लिया। इससे दो काम तो हो गए राजनैतिक आका खुश हुए और अपना व्यक्तिगत स्वार्थ भी पूरा हो गया, परन्तु पिसता रह गया, अभागा जनसामान्य, वह दर्द और पीड़ा से कराह रहा है।