50 व 20 के नये नोट आयेंगे: आरबीआई

rbiनई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने घोषणा की कि वह 50 और 20 रुपए के नए नोट लेकर आएगा। हालांकि, आरबीआई ने साथ ही कहा कि नए नोट बाजार में आने के बावजूद पुराने नोट वैध रहेंगे। बैंक ने आगे कहा कि 50 रुपए के नए नोट में इंसेट लेटर नहीं होंगे, लेकिन 20 रुपए के नए नोट में दोनों नंबर पैनल में इंसेट लेटर एल होगा।
दोनों नए नोटों पर आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर होंगे और वर्ष 2016 से जारी किए जाएंगे। 50 और 20 के नए नोट लाने की आरबीआई की घोषणा पिछले महीने की आठ तारीख की मध्यरात्रि से सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोटों को अवैध घोषित करने के बाद आई है। सरकार की घोषणा के बाद 500 और 2000 के नए नोट जारी किए जा चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार, नोटबंदी के बाद छोटे नोटों की किल्लत होने के कारण बाजार में छोटे नोटों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आरबीआई ने यह कदम उठाया है।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि 500 रुपए तथा 1,000 रुपए के नोट बंद करने के उसके फैसले ने लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया है, क्योंकि यह काला धन तथा नकली नोट खत्म करने के उद्देश्य लगाई गई उचित पाबंदी है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दाखिल एक जवाब में सरकार ने कहा, सरकार द्वारा 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोट की मौजूदगी खत्म करने के फैसले की प्रकृति केवल एक उचित प्रतिबंध तथा नियामक की है।
लोगों द्वारा पुराने बड़े नोटों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने को अवैध या अनुचित पाबंदी करार नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं होता है।
सरकार ने अपने फैसले का बचाव करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) एक्ट, 1934 की धारा 26 (2) का संदर्भ दिया। इस धारा के मुताबिक, सेंट्रल बोर्ड (केंद्र सरकार) की सिफारिश पर अधिसूचना, घोषणा कर तत्काल प्रभाव से किसी भी श्रेणी के बैंक नोट को लीगल टेंडर से बाहर किया जा सकता है। सरकार ने 2,000 रुपए का नोट लाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ऐसा मुद्रास्फीति के मद्देनजर, रुपए की क्रय शक्ति में कमी के मद्देनजर किया गया है।
सरकार ने विनिमय तथा अभाव के बीच फर्क बताते हुए गुरुवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को विभिन्न मूल्य वर्ग के नोटों, चेकों तथा ई-ट्रांसफर से वंचित नहीं किया जा सकता है। सरकार की यह प्रतिक्रिया वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के सवाल के जवाब में आई है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश सिब्बल ने अदालत से पूछा था कि किस कानून के तहत लोगों को अपने बैंक अकाउंट से पैसे निकालने से वंचित किया जा रहा है