रद्द नोटों से रीचार्ज पर जियो ने उठाए सवाल

reliance jioकोलकाता (आरएनएस)। रिलायंस जियो इंफोकॉम और देश की दूसरी टेलिकॉम कंपनियों के बीच एक और इशू पर मतभेद सामने आए हैं। जियो का मानना है कि 500 रुपये के रद्द किए गए नोटों से 15 दिसंबर तक प्री-पेड यूजर्स को टॉप-अप खरीदने की इजाजत देने संबंधी निर्णय का रिटेल लेवल पर दुरुपयोग हो सकता है। इसके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का भी खतरा है।
हालांकि, जियो की इस राय को सीओएआई यानी सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के ज्यादातर सदस्यों ने खारिज किया है। सीओएआई के फोरम पर ही जियो ने यह आशंका जताई थी। सीओएआई के मेंबर्स में जियो के अलावा भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर शामिल हैं।
सीओएआई के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज ने कहा कि सरकार ने जनहित और उपभोक्ताओं के हित में यह निर्णय किया था। उन्होंने कहा कि टेलिकॉम ऑपरेटर्स ने ऐसे टॉप-अप्स के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग न होने देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
हालांकि, एनालिस्ट्स और इंडस्ट्री के कुछ लोगों का कहना है कि जियो की चिंता वाजिब हो सकती है। उन्होंने कहा कि लॉन्ड्रिंग के अलावा एक पहलू यह भी है कि शॉर्ट टर्म में इस कदम का जियो पर नेगेटिव प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि कस्टमर्स उसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से लंबे समय तक जुड़े रह सकते हैं।
एक सीनियर इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव ने कहा कि कोई रिटेलर चाहे तो नए और पुराने नोटों में हुए ट्रांजैक्शंस का गड़बड़ आंकड़ा पेश कर सकता है। इस रूट का इस्तेमाल प्री-पेड कस्टमर्स को रद्द हो चुकी करेंसी को रिप्लेस करने में प्रोत्साहित करने के लिए भी हो सकता है।
एक अन्य एक्सपर्ट ने कहा कि इससे जियो की प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के कस्टमर्स का टॉक-टाइम बैलेंस काफी बढ़ सकता है और उन कंपनियों का ऐवरेज रेवन्यू पर यूजर कुछ वक्त के लिए ज्यादा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इससे हो सकता है कि कस्टमर्स जियो की सेवाओं का कम इस्तेमाल करें क्योंकि ज्यादातर कस्टमर्स जियो को दूसरे सिम के रूप में यूज कर रहे हैं।