नोटबंदी पर विपक्ष एकजुट: मनाया काला दिवस

sonia and rahulनई दिल्ली। नोटबंदी के फैसले के एक महीने पूरे होने के मौके पर गुरूवार को एकजुट विपक्ष ने संसद से सड़क तक सरकार पर प्रहार किया। संसद के दोनों सदनों को भारी हंगामे के सहारे नहीं चलने दिया। तो बाहर संसद परिसर में नोटबंदी से हो रही मुश्किलों के खिलाफ काला दिवस मनाया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने हाथों और माथे पर काली पट्टी बांध कर नोटबंदी के फैसले पर सवाल उठाते हुए सरकार पर हमला बोला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी पर 8 नवबंर को किए गए एलान के एक महीने बाद भी हालात के और खराब होने का आरोप लगाते हुए विपक्षी नेताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। राहुल गांधी ने इस प्रदर्शन के दौरान नोटबंदी से हो रही दिक्कतों को जाहिर करते हुए कहा कि आमलोगों की मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि बड़े धूम धड़ाके से नोटबंदी का हुआ एलान अब धड़ाम हो चुका है। देश के सामने नोटबंदी से समस्याओं का अंबार लग है और प्रधानमंत्री का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
राहुल ने दावा करते हुए कहा कि किसान मर रहे हैं और प्रधानमंत्री बेफिक्र हैं। उन्होनें कहा कि पीएम संसद में नोटबंदी पर बहस से भाग रहे हैं और हम चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। नोटबंदी पर मनाए गए इस काला दिवस के दौरान राहुल के साथ कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खडगे, माकपा नेता सीताराम येचुरी, जदयू नेता शरद यादव के अलावा, तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा, राजद, द्रमुक आदि पार्टियों के तमाम नेता व सांसद मौजूद थे।
इस विरोध प्रदर्शन के बाद संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सांसदों ने नोटबंदी के मुद्दे पर जमकर हंगामा कर कई बार सदन स्थगित कराए और अंतत: पूरे दिन के लिए दोनों सदन ठप हो गए। लोकसभा में स्पीकर सुमित्रा महाजन ने तो काफी देर तक हंगामे के बीच प्रश्न काल और शून्य काल चलाने की कोशिश भी की। विपक्ष जब नोटबंदी का मुद्दा उठा रहा था तब स्पीकर ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि रोजाना इसके नाम पर विपक्षी नेता अपनी बात कहते हैं और फिर चर्चा नहीं हो पाती। इसलिए अब वे विपक्षी नेताओं को नोटबंदी पर बोलने की अनुमति तभी देंगी जब वे चर्चा के लिए तैयार होंगे।
दरअसल स्पीकर इस बात से भी खफा थीं कि विपक्ष ने बुधवार को बिना नियम के लोकसभा में बहस शुरू करने के प्रस्ताव पर सकारात्मक हामी भरी थी। मगर नोटबंदी के खिलाफ काला दिवस मनाने की अपनी योजना के तहत गुरुवार को भी बहस शुरू करने की बजाय दोनों सदनों में नोटबंदी पर अपने सियासी संग्राम को हवा दी।
संसद में विपक्ष और सरकार के बीच अब तक के गतिरोध की वजह से शीत सत्र के दौरान कोई काम नहीं हो सका है। शीत सत्र में अब केवल चार दिन की बैठकें बाकी है और दोनों पक्षों के बीच शह-मात की सियासत को देखते हुए सदन चलने के आसार अब भी नजर नहीं आ रहे। हालांकि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की विपक्षी दलों को दी गई कड़ी नसीहत के मद्देनजर सदन चलने को लेकर उम्मीद की एक किरण अभी भी बाकी है।