मनरेगा मजदूरों पर भी पड़ी नोटबंदी की मार

labourनई दिल्ली (आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से काले धन और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद जहां कई जगहों से छंटनी की खबरें आ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ इसकी मार मनरेगा पर भी पड़ी है। नोटबंदी के चलते मनरेगा में अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में 23 फीसदी रोजगार घटा है। नवंबर में हालत ये हो गए कि नोटबंदी के चलते 23.4 लाख लोगों को बिना काम के खाली हाथ ही लौटना पड़ा और ये आंकड़ा अक्टूबर में ऐसे लोगों के मुकाबले दोगुना है। अगर पिछले साल के नवंबर की बात करें तो मनरेगा के तहत मिल रहे काम में इस साल करीब 55 फीसदी की भारी गिरवट आयी है। जाहिर है यह इस बात की ओर इशारा करता है कि ऐसा किसी खास मौसम के चलते नहीं हुआ है। एक तरफ जहां देशभर में नोटबंदी के बाद रोजगार की स्थिति काफी विषम हो गई है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में ऐसा माना जा रहा है कि स्थिति और खराब होगी। ऐसे में पलायन कर रहे श्रमिकों की वापसी की खबर के बाद ग्रामीण इलाकों में स्थिति और खराब होने का अनुमान लगाया जा रहा है। क्योंकि वहां पर पहले से ही बेरोजगारों की काफी तादाद है। गौरतलब है कि साल 2015-16 के दौरान मनरेगा पर सबसे ज्यादा 56 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। जिनमें से 12 हजार करोड़ रुपये बकाया मजदूरी के भुगतार पर खर्च किए गए। मनरेगा स्कीम के तहत साल 2015-16 में पिछले सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा रोजगार मिला था।