सरोजनी नगर में कमल खिलाने की चुनौती

bjp flagसंवाददाता, लखनऊ। उत्तर पप्रदेश की सरोजनी नगर लखनऊ की विधानसभा सीट पर कमल खिलाना किसी चुनौती से कम नही है। पिछले 16 बार चुनावों में भाजपा अपना कमल खिलाने में कामयाब नहीं हो सकी है। 17वीं विधानसभा का चुनाव चल रहा है जिसमें उ मीद की किरण दिख रही है, लेकिन उसका जनाधार कितना मजबूत है यह तो विधानसभा चुनाव का परिणाम ही बताएगा।
वर्ष 1951 से लेकर 2012 तक के विधानसभा चुनाव में न तो जन संघ का खाता खुला था और उसके बाद जब भाजपा आयी तो वह भी अपना खाता नहीं खोल सकी, लेकिन इस बार के चुनाव में किसी पार्टी के विषय में अभी से कुछ कहना वाजिब नहीं होगा। पिछले विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो आजादी के बाद से लगातार 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। वर्ष 1951 से लेकर 1977 तक 6 बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा कायम रहा लेकिन 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी छेदा सिंह चैहान ने कांग्रेस का विजय रथ रोक दिया लेकिन 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर सफलता मिली। वर्ष 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उ मीदवार शारदा प्रताप शुक्ला को जीत मिली वहीं 1989 में जनता दल में शामिल होने के बाद चुनाव ल?कर दोबारा अपना रूतबा कायम रखा। वर्ष 1991 में कांग्रेस तथा 1993 से 1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी सरोजनी नगर को इस सीट पर काबिज रही। वर्ष 2002 और 2007 के चुनावों में यह सीट बसपा खाते में चली गई लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी फिर अपना परचम लहराने में कामयब हुई लेकिन भाजपा इस बीच खाता भी नहीं खोल पाई। 17वीं विधानसभा का संग्राम जारी है। जिसके लिए बसपा सपा के साथ भाजपा ने भी मजबूत कैंडिडेट को मैदान में उतारा है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी स्वाति सिंह हाल ही में राजनीतिक चर्चा का चेहरा जानी जाती हैं। लेकिन भाजपा उनकी राह आसान बनाने के लिए स्टार प्रचारकों का सहारा ले रही है, लेकिन समाजवादी पार्टी से इस बार अनुराग यादव (मु यमंत्री अखिलेश परिवार के सदस्य) चुनाव मैदान में है तो वहीं पिछले चुनाव में उपविजेता रहे शंकरी सिंह भी मैदान में हैं। इस बार के चुनाव मैदान में क्षेत्र का मतदाता किस ओर करवट लेगा यह कुछ कहा नही जा सकता है। इस बार भी भाजपा को सरोजनी नगर विधानसभा की सीट पर कमल खिलाना किसी चुनौती से कम नही होगा।