बूचडख़ानों पर बैन: गर्मायी संसद

Parliament_Houseनई दिल्ली। देशभर में अवैध बूचडख़ानों को बंद करने के नाम पर करोड़ों लोगों के प्रभावित होने का मुद्दा शुक्रवार को राज्यसभा में भी गूंजा। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य नदीमुल हक ने राज्यसभा में बूचडख़ानों तथा मांस की दुकानों पर मनमाने तरीके से कार्रवाई का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लोग क्या खाना चाहते हैं, इस पर सरकार का हुक्म नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि केवल उत्तर प्रदेश में ही कसाइयों तथा मांस की दुकानों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा, बल्कि झारखंड तथा अन्य राज्यों में भी ऐसा हो रहा है। करोड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है। प्रतिक्रिया स्वरूप ये लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं, जिसके कारण कई राज्यों में मांस की कमी हो गई है। सदस्य ने कहा कि इसके कारण अन्य उद्योगों जैसे चमड़े तथा होटल भी प्रभावित हो रहे हैं।
हक ने कहा कि आज की तारीख में उत्तर प्रदेश के विकास दर में इसकी हिस्सेदारी का 14 फीसदी दांव पर लगा है। उन्होंने कहा कि लोगों को क्या खाना चाहिए, इस पर सरकार के तानाशाही रवैये से उनकी पसंद का अधिकार छीना जा रहा है और यह उनके मानवाधिकार का अपमान है। लोग किस तरह जिएंगे और वे क्या खाएंगे, इस पर सरकार को हुक्म जारी नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध बूचडख़ानों को बंद कराने की एक मुहिम शुरू की है। इसके बाद अन्य भाजपा शासित राज्य भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य नदीमुल हक की ओर से राज्यभा में बूचडख़ानों को बंद कराने का मुद्दा उठाए जाने पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बूचडख़ानों के खिलाफ भाजपा शासित राज्यों की सरकारों के फैसले का खुलकर बचाव किया। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का दबाव या हड़ताल देश में अवैध बूचडख़ानों को बंद होने से नहीं बचा सकता। यह वैध और अवैध बूचडख़ाना का मामला है। अवैध बूचडख़ाने न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक हैं। मंत्री ने कहा कि किसी भी तरह का दबाव या हड़ताल इन अवैध बूचडख़ानों को बंद होने से नहीं रोक सकता। उत्तर प्रदेश में मांस कारोबारियों द्वारा जारी विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर इस मुद्दे को शून्यकाल के दौरान उठाया गया।