जहां आज भी विराजते हैं पवनसुत हनुमान

फीचर डेस्क। अयोध्या के राजा भगवान रामचन्द्र त्रेतायुग की समाप्ति के बाद जब सरयू नदी में पूरे परिवार के साथ जब जल समाधि ली थी तब वहीं पास में खड़े पवन पुत्र हनुमान ने उनसे कहा कि मुझे भी भगवान अपने साथ ले चलें। भगवान श्रीरामने हनुमान से कहा कि आने वाले कलियुग ही नहीं उससे भी अधिक समय उनको पृथ्वी पर ही रहना है और लोगों का कल्याण करना है। भगवान राम के आदेश का हनुमान जी आज भी पालन कर रहे हैं। अब ये भक्तों पर है कि उनमें कितनी आस्था है कि हनुमान का दर्शन पा सकें। कहा जाता है कि हनुमान आज भी ऋषिमूक पर्वत पर रहते हैं। आज के समय में यह पर्वत श्रीलंका में है।
कलियुग में उनका ठिकाना कहां है यह अभी तक रहस्य बना हुआ था। लेकिन अब यह शायद रहस्य नहीं रहा। श्रीलंका के एक जंगल में उनके होने का आभाष हो रहा है जोकि इसी पर्वत के इर्दगिर्द है। गौरतलब है कि यह जंगल उसी स्थान के पास है जहां पहले कभी अशोक वाटिका हुआ करती थी जहां रावण ने सीता माता को बंदी बना रखा था। इस स्थान को अब सीता एलिया के नाम से जाना जाता है।
इस बात में आश्चर्य नहीं कि हनुमान जी वहां किसी आधुनिक समाज के लोगों के सामने नहीं प्रकट होते बल्कि एक रहस्यमयी कबीले के लोगों के सामने प्रकट होते हैं। इस कबीले को मातंग कबीला नाम दिया गया है और इस कबीले में मात्र 50 के करीब लोग है जो आधुनिक समाज से बिलकुल कटे हुए हैं। इस कबीले का अगर किसी के साथ अगर थोडा बहुत संपर्क है तो वो है एक दूसरे कबीले के लोगों के साथ जिसे वैदेह कबीला कहा जाता है। वैदेह कबीले के लोग रावण के भाई विभीषण के वंशज माने जाते हैं। 544 ईसा पूर्व श्रीलंका की महारानी कुवेणी जो विभीषण की वंशज थी , को धोखा देकर भारत से पलायन करके गए एक राजकुमार ने श्रीलंका की सत्ता हथिया ली थी। उसके बाद कुवेणी की मृत्यु हो गयी थी और उसके बच्चे जंगलों में रहने लगे थे जिनके वंश से वैदेह कबीला बना। लेकिन जो मातंग कबीला है जिसमे सिर्फ 50 के करीब लोग हैं, ये किसके वंशज हैं इसका कोई पता नहीं चला है। पिछले कुछ वर्षो से कबीलाई भेष में इस रहस्यमयी कबीले का अध्ययन कर रहे कुछ अन्वेषकों ने इनके रहस्यों से पर्दा उठाना शुरू कर दिया है। पता चला है कि यह लोग साधारण इंसान नहीं बल्कि हनुमान जी के सेवक हैं। और हनुमान जी कुछ विशेष अवसरों पर इनके बीच प्रकट होते हैं। उदाहरण के तौर पर जब कोई वानर मर जाता है तो ये लोग एकत्र होकर प्रार्थना करते है जिसमे स्वयं हनुमान जी प्रकट होते हैं।