ऑक्सीजन की कमी के मामले में मेडिकल कालेज प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार-रिपोर्ट

लखनऊ । गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला की जांच रिपोर्ट ने मेडिकल कालेज प्रशासन और चिकित्सकों के लापरवाह रवैये की पोल खोल दी है। जांच रिपोर्ट आठ पेज की है। रिपोर्ट में ऑक्सीजन सिलेंडर की लॉग बुक 10 अगस्त से बनाए जाने, स्टॉक बुक में ओवरराइटिंग करने तथा लिक्विड ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता फर्म के बिलों का क्रमवार या तिथिवार भुगतान न होने के पीछे वित्तीय अनियमितता होना प्रतीत होता है, जिसके लिए ऑडिट एवं उच्च स्तरीय जांच कराया जाने की सिफारिश की गई है।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक 10 अगस्त को जब मेडिकल कॉलेज ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था तब प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र सुबह ही मुख्यालय से बाहर चले गए, जबकि ऑक्सीजन की उपलब्धता बनाए रखने के जिम्मेदार एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.सतीश कुमार भी बिना अनुमति के 11 अगस्त को मुंबई चले गए। 11 अगस्त को 23 बच्चों की मौत हुई थी।
रिपोर्ट में बताया गया है, मेडिकल कॉलेज छोड़ने से पहले दोनों अधिकारियों ने यदि समस्या का समाधान समय से कर दिया होता तो ऐसी परिस्थितियां नहीं होतीं, जबकि दोनों अधिकारियों को फर्म द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद किए जाने की जानकारी रही होगी। प्राचार्य रहे डॉ. मिश्र को रिपोर्ट में बाल रोग विभाग पर शिथिल नियंत्रण का भी दोषी पाया गया है। कहा गया कि उन्होंने बाल रोगियों के वार्ड में दी जाने वाली सुविधाओं, रखरखाव व भुगतान आदि पर ध्यान नहीं दिया। रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिन प्रमुख लोगों पर मेडिकल कॉलेज की जिम्मेदारी थी, उनके बीच ऐसे कठिन और संवेदनशील समय में भी समन्वय नहीं था। प्राचार्य डॉ. मिश्र और एनेस्थीसिया एचओडी डॉ. सतीश कुमार के मुख्यालय से बाहर होने पर यह जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.रमाशंकर शुक्ल, कार्यवाहक प्राचार्य डॉ.राम कुमार, 100 बेड वार्ड के नोडल अधिकारी डॉ.कफील खान और बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ.महिमा मित्तल की थी, लेकिन वे टीम के तौर पर इसके लिए तैयार नहीं थे।
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