एक साथ तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए, उप्र की मुस्लिम महिलाओं ने कहा थैंक्स सुप्रीम कोर्ट

लखनऊ। ‘फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ महिलाओं की आकांक्षाओं की कहानी कहती है। जो बात फिल्म में कहने की कोशिश की गई थी उसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने परवान चढ़ा दिया है। एक साथ तीन तलाक का अवैध करार देकर सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक काम किया है। अब मुस्लिम महिलाएं अपने पति के साथ बिना खौफ के जी सकेगीं।’ यह कहना है लखनऊ की 22 साल की परवीन खान का। परवीन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहीं है।
‘हम चुप रहते है, घरांे में कैद रहते है, बाहर निकलते है तो बुर्का पहनते है। लेकिन पति की नाजायज हरकतों पर सवाल नही उठा सकते, क्योंकि उसके पास तलाक की ताकत है, कोर्ट ने हमें राहत दी है। हम सकून से रह सकते है।’ ऐसा कहना है, 35 साल की नाहिदा का जो चार बच्चों की मां है। नाहिदा का कहना है कि उनके पति ने कई मौकों पर तलाक देने का डर दिखाया है। लेकिन उन्हे उम्मीद है कि शायद अब ऐसा न हो।
लखनऊ से 160 किमी दूर प्रतापगढ़ की घरेलू महिला शबनम ने भी राहत की सांस ली है। शबनम का कहना है कि उप्र के विधानसभा आम चुनाव में उनके पति ने पूछा था कि तुमने किस पार्टी को वोट दिया है। क्योंकि उनके दोस्त की पत्नी ने उन्हे बताया था कि मोहल्ले की कुछ महिलाओं ने तीन तलाक के मुद्दे पर भाजपा को वोट दिया है। जिसके बाद पति ने तलाक की धमकी से डराया था। लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा सुहाना के मुताबिक कुरान में तीन तलाक नही है लेकिन इससे डर लगता रहा है। अभी शादी नही हुई है लेकिन जब भी घर में शादी की बात होती है तीन तलाक का खौफ दिमाग में आ जाता है। सुहाना की एक रिश्ते की भाभी को दुबई में बैठे पति ने काफी दिन पहले फोन पर तीन तलाक बोला था। घर के लोगों ने मौलाना से बात की। मौलाना ने कहा तलाक हो गया। अब उसे पति का घर छोड़ना पडे़गा। उसने पति का घर छोड़ दिया।
पुराने लखनऊ की सिबा भी कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रहीं है, सिबा को लगता है माहौल बदलेगा। सिबा का कहना है कि हमारे यहां तलाक शुदा महिलाएं कोर्ट के बजाए दारूल कजा जाती रहीं है, जहां एक साथ तीन तलाक को जायज माना जाता है। निजी कंपनी में नौकरी करने वाली सिमरन का कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भूमिका बढ़ गयी है। अब उसे एक साथ तीन तलाक देने वाले का सामाजिक बहिष्कार कराने का फतवा देने के लिए तैयार रहना चाहिए। सिमरन का मानना है कि कोर्ट के फैसले के बाद अब इस मामले में किसी कानून की जरूरत नही है।
गौरतलब है कि मुस्लिम महिला अधिकारों के लखनऊ में ही आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड का गठन हुआ था। जिसकी अध्यक्ष शाइस्ता अंबर है। मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ने वाली यहां की दर्जनों महिलाएं चर्चा में है।
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