व्यवस्था से लड़ते-लड़ते जरूरतमंदों का मसीहा बना सांसद

जेएनएन। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि एक महत्वपूर्ण कारक है। मगर क्या इसके मायने सिर्फ वोट बैंक और सरकार बनाने से है। ये आज एक सवाल है और शायद आप इसका जवाब भी तलाशना नहीं चाहेंगे। क्योंकि आप पहले से जानते हैं जनप्रतिनिधियों को। मगर इन सब के बीच एक ऐसा भी शख्स है, जो जनप्रतिनिधि होते हुए भी एकसमान लोगों के बीच समय गुजार देता है। लोगों के बीच उनकी छवि बाहुबली की भी है तो कई लोगों को उनमें मसीहा भी दिखाई देता है। कोई उन्हें दबंग भी कहता है, तो किसी को रॉबिन हुड मानने से भी गुरेज नहीं है।
हम बात कर रहे हैं कोसी क्षेत्र से मधेपुरा का लोकसभा में नेतृत्व करने वाले सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की, जो आज कल ये बिहार में आई भीषण बाढ से प्रभावित लोगों के बीच मिलते हैं। इन दिनों बाढ़ से बिहार के कोसी, मिथिलांचल और सीमांचल के अलावा अन्य क्षेत्रों में जो बाढ़ ने तबाही मचाई है, उसमें सबसे पहले सांसद पप्पू यादव राहत कार्य को आगे आये। राहत कैंप हो या सुदूर पानी के बीच फंसे लोग, खुद उन तक पहुंचने का प्रयास और इस विकट स्थिति में उन तक मदद पहुंचाने की जिद रखने वाले पप्पू यादव का गुस्सा व्यवस्था के प्रति साफ जाहिर होता है। उनका मानना है कि बिहार में बाढ़ प्राकृतिक आपदा से ज्यादा मानव निर्मित आपदा है और इसके लिए राजनेता और ब्यूरोक्रेसी जिम्मेवार है, जो बाढ़ के नाम पर भी अपनी ब्रांडिंग करते हैं। इस बाढ़ के लिए वे फरक्का बराज को जिम्मेवार मानते हैं और उसे अभिशाप बताते हैं।
यूं तो सांसद पप्पू यादव साल का अपना सबसे ज्यादा समय क्षेत्र में लोगों को बीच गुजारते ही हैं, मगर इन दिनों बाढ़ में भी उनका साथ नहीं छोड़ा और बाढ़ पीडि़तों का हौसला बन उनके साथ डटे हुए हैं। मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, किशनगंज, मोतिहारी, दरभंगा आदि जिलों के बाढ प्रभावित लोगों की खुद भी मदद कर रहे हैं और उनकी पार्टी जन अधिकार पार्टी (लो), जन अधिकार छात्र परिषद, युवा परिषद, युवा शक्ति द्वारा भी युद्ध स्तर पर बाढ़ पीडितों की सहायता की जा रही है, जिसकी मॉनिटरिंग खुद सांसद कर रहे हैं। कई बार लोगों की दयनीय स्थिति और शासन – प्रशासन की राहत बचाव कार्य में उदासीनता से वे आहत भी हो जाते हैं और कई बार उनकी आखें भी नम हो जाती है। मगर फिर भी वे लोगों के खुद के प्रति उम्मीद पर खड़े उतरने की जी जान से कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
वे राजनीति से परे हट कर जहां देश भर के लोगों से बिहार के बाढ़ प्रभावित के लिए मदद मांगते नजर आते हैं, वहीं, केंद्र और राज्य सरकार से इस भीषण आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग भी की है। पप्पू यादव कहते हैं – ‘बाढ़ की विपदा ने मुझे विचलित कर दिया है। मेरी बिटिया का बर्थडे था, मगर मैं बाढ़ पीडितों को इस हालत में छोड़ कर ना जा सका। रोज बाढ़ पीडि़तों के साथ हूं। अकेले जितना बन पा रहा है, कर रहा हूं। मगर वो कम है, इसलिए आप भी मेरे साथ उनकी मदद करें। हाथ जोड़ कर अपील है।‘
हालांकि वे खुद भी एक सांसद हैं। व्यवस्था के हिस्से हैं। मगर लोगों के बीच रहकर काम करने वाले सांसद फिर भी उसी व्यवस्था से लड़ रहे हैं। एशियन पोस्ट के एक सर्वे ने भी माना है कि पप्पू यादव एक ऐसे सांसद हैं, जो पूरे जुनून के साथ भ्रष्ट सिस्टम के विरुद्ध लगातार संघर्षरत हैं। वह सडक़ से संसद तक आम आदमी की हर मांग को मजबूती से उठाते हैं। इन्हें गरीबों, बीमारों, छात्रों और हर आम आदमी की समस्याओं का ख्याल है। उसे अपनी पूरी क्षमता से दूर करने की कोशिश करता है। राज्य के किसी भी कोने मे होने वाली अपराधिक घटना में पीडि़त परिवार के साथ तन, मन, धन से खड़ा हो, उसे सहायता प्रदान करते हैं।
सन 1990 में पहली बार इंडिपेंडेंट विधायक चुने जाने के बाद से पप्पू यादव का व्यवस्था की खामियों से लड़ाई जारी है। इस लड़ाई में वे जेल भी जा चुके हैं, बावजूद इसके वे आम लोगों के मदद में सदैव खड़े रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब भी पप्पू यादव से मदद के लिए उनके पास जाता है, वे किसी को निराश नहीं करते हैं। अंतिम कोशिश तक वे लगे रहते हैं। उनकी संवेदनशीलता का ही तकाजा है, कि वे खुद को भूला कर मानव सेवा को तवज्जो देते हैं। इसी सेवा भाव को और विस्तार देने के अलावा व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ आम लोगों को हक दिलाने के लिए उन्होंने जन अधिकार पार्टी (लो) के नाम से पार्टी भी बनाई है।
देश में सांसद तो कई हैं, मगर उनमें से पप्पू यादव एक अकेले ऐसे सांसद हैं, जिन्होंने अपने दिल्ली के बलवंत राय लेन स्थित सरकारी आवास पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेवाश्रम बना रखा है। यह सेवाश्रम आज उन लोगों को समर्पित है, जो लोग इलाज के दिल्ली आते हैं। वे यहां पनाह पाते हैं। देशभर से असहाय लोग यहां आते हैं। ये मानवता का एक अनूठा मिसाल है। यहां लोगो को इलाज के साथ-साथ रहने और खाने की पूरी व्यवस्था सासंद पप्पू यादव खुद अपनी देख-रेख में करवाते हैं। इसी तरह सांसद ने जन कल्याण में अपनी भूमिका एक मददगार के रूप में बना कर न सिर्फ लोगों का दिल जीता है, बल्कि उनमें एक उम्मीद भी जगाई है। इसलिए तो कोई उन्हें मसीहा मानता है तो कोई रॉबिन हुड, किसी की नजऱ में वे विद्रोही हैं तो किसी की नजर में शांत।