फडणवीस के फन में समा गया समृद्धि एक्सप्रेस वे घोटाला

 

 

मुंबई। समृद्धि एक्सप्रेस-वे ने महाराष्ट्र की राजधानी में उथल-पुथल मचाई हुई थी मगर अब फिर मामला ठंडा पड़ता जा रहा है। करीब 46,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना में 6 लेन हाई-वे बनाने के लिए किसी भी तरह से जमीन हासिल करने को लेकर शुरु हुआ यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इस परियोजना के लिए राधेश्याम मोपलवार पर एक प्रॉपर्टी डीलर से रिश्वत के तौर पर पैसे मांगने का आरोप लगा। बातचीत का ऑडियो टेप सामने आने से महाराष्ट्र सरकार को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा। इस टेप की विश्वसनीयता की जांच के बाद सरकारी गलियारों में हडक़ंप मच गया है।इस अधिकारी पर लगे आरोपों का एक ऑडियो टेप सामने आया है। इस टेप में प्रॉपर्टी डीलर और आईएएस अधिकारी की बातचीत है, जिसमें किसी संपत्ति को लेकर लेन-देन की बात हो रही है। इस टेप में रिश्वत के पैसे का एक हिस्सा मंत्रालय तक पहुंचाने की बात भी कही जा रही है। मुख्यमंत्री फडणवीस की कैबिनेट में आवास मंत्री प्रकाश मेहता पर भी इस परियोजना से एक विशेष डेवलेपर को 600 करोड़ रुपये का फायदे पहुंचाने का आरोप लगा। विधानसभा में विपक्ष ने प्रकाश मेहता के इस्तीफे की जोरदार ढंग से मांग की, जिसे मुख्यमंत्री ने मानने से इनकार कर दिया।मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस समृद्धि परियोजना को लेकर जबरदस्त उतावलेपन में नजर आ रहे हैं। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसकी एक वजह यह भी है कि नागपुर उनका विधानसभा क्षेत्र है। लिहाजा वह इसे जल्द से जल्द अमली जामा पहनाना चाहते हैं। इस परियोजना और उससे जुड़े विवादों पर नजर डालने से इस बात का पता चलता है कि इसकी जड़ें कितनी गहरी हैं और नागपुर से किस कदर जुड़ी हुई हैं।फणनवीस सरकार को आए महज दो साल हुए हैं और समृद्धि परियोजना कई अड़चनों और विवादों में घिर गई है। अमरावती, औरंगाबाद और नासिक में किसान अपनी उपजाऊ जमीन सरकार को देने के लिए तैयार नहीं हैं। एमएसआरडीसी इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की नोडल एजेंसी है जो किसानों से जमीन लेने के तमाम हथकंडे अपना रही है। किसानों की जमीन नापने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल हो रहा है, जिसे कई जगहों पर किसान गिरा दे रहे हैं।राधेश्याम मोपलवार के खिलाफ लंबे समय से वित्तीय गड़बडिय़ां करने का आरोप लग रहा है। आयकर विभाग का सतर्कता आयोग आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी उनके खिलाफ छानबीन कर रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह करीब 800 करोड़ रुपये का है। दिसंबर 2016 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर तेलगी घोटाले (फर्जी स्टैंप पेपर घोटाले) में मोपलवार की भूमिका के बारे में जांच करने को कहा था।