रिमोट सेंसिग का हाल: खाता न बही, जो कहें निदेशक वही सही  

लखनऊ। यूपी के रिमोट सेंन्सिग एप्लीकेशन्स सेन्टर में कार्यवाहक निदेशक राजीव मोहन का एकछत्र राज है। नियम कानून से परे पूरे सेंटर को अपने कानून के तहत चला रहे हैं मगर इस पर न तो सीएम योगी का ध्यान जा रहा है और न ही विभाग के मंत्री का। मालूम हो कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के नियन्त्रणाधीन वर्ष 1982 से स्थापित है। सेन्टर के मेैमोरेण्डम एवं रूल्स आफ एसोसियेशन के प्राविधानित नियमों के अन्तर्गत प्रथम निदेशक की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा लेकिन इसके पश्चात् निदेशक की नियुक्ति प्रबन्धकारिणी समिति की संस्तुति पर केन्द्र के सभापति द्वारा करने का प्राविधान है। इसके अतिरिक्त सेन्टर की सामान्य सेवा नियमावली-1985 जोकि माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सेन्टर के प्रबन्धकारिणी समिति अध्यक्ष, होने के नाते अनुमोदित की गई थी, इस सेवा नियमावली को शासन के निर्देशों पर प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा दिनॉंक 26 फरवरी 2013 को संशोधित किया जा चुका है तथा संशोधित सामान्य सेवा नियमावली-1985 में सेन्टर के सभी कार्मिकों के लिये राज्य सरकार के कार्मिकों के समान वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधाओं सम्बन्धी नियम प्राविधानित हैं। सेन्टर में न तो माह अक्टूबर 2014 से निदेशक के रिक्त पद को मैमोरेण्डम रूल्स में प्राविधानित नियमों के तहत भर रहा है तथा न ही संशोधित सामान्य सेवा नियमावली-1985 के अनुसार वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को अनुमन्य करा रहा है। सेन्टर में प्रशासनिक अधिकारी का सृजित पद जिसे अध्यक्ष, प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा वर्ष 2008 में अस्वीकृत किया जा चुका है फिर भी सेन्टर में प्रशासनिक अधिकारी के पद का निर्वहन कार्यालय अधीक्षक-भण्डार व क्रय से कराने के साथ-साथ वित्तीय अधिकारों का भी उपयोग भी करा रहा है। सेन्टर से पीएनशाह, निदेशक के माह अक्टूबर 2014 में सेवानिवृत्त के पश्चात् सेन्टर में निदेशक पद रिक्त चल रहा है। सेन्टर में निदेशक का पद रिक्त होने पर शासन ने आदेश 8 दिसम्बर 2014 द्वारा नियमित निदेशक के चयन होने तक राजीव मोहन, वैज्ञानिक को सेन्टर का कार्यवाहक निदेशक बना दिया था। राजीव मोहन, वैज्ञानिक द्वारा कार्यवाहक निदेशक के पद का निर्वहन करते हुए शासन एवं प्रबन्धकारिणी समिति के निर्देशों के बावजूद सेन्टर में संचालित परियोजनाओं के अन्तर्गत माह अप्रैल 2015 में डी0टी0पी0 आपरेटर के पदों पर सेवा प्रदाता के माध्यम से मानवशक्तियॉं न रखकर संविदा पर बिना विज्ञापन एवं पारदर्शिता के मानवशक्तियों को रखने तथा अन्य वित्तीय एवं प्रशासकीय अनियमितताऐं करने पर सेन्टर की प्रबन्धकारिणी समिति के पूर्व अध्यक्ष अशोक यादव ने राजीव मोहन को कार्यवाहक निदेशक के दायित्व से हटाये जाने के पश्चात् उन्हें निलम्बित कर दिया था। यहॉं तकं कि शासन ने भी आदेश 15 सितम्बर 2015 द्वारा सेन्टर के कार्यवाहक निदेशक का दायित्व सेन्टर में नियमित निदेशक की नियुक्ति तक विभागीय कार्यहित में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक एम0के0जे0 सिद्दीकी को सौप दिया था। सेन्टर में नियमित निदेशक की नियुक्ति हेतु माह जनवरी 2016 में विज्ञापन प्रकाशित तो कराया गया लेकिन नियुक्ति की कार्यवाही न कराके शासन ने आदेश दिनॉंक 15 दिसम्बर 2016 द्वारा कार्यवाहक निदेशक का दायित्व एमकेजे सिद्दीकी को हटाकर पुन: राजीव मोहन, वैज्ञानिक को सौप दिया। राजीव मोहन ने निदेशक का दायित्व पुन: मिलते ही संशोधित सामान्य सेवा नियमावली-1985 को दर किनार करते हुए अनियमित ढंग से पूर्व सेवा नियमावली की सेवा शर्तों के आधार पर अपनी पदोन्नति के साथ  अन्य 27 वैज्ञानिकों को पिछली तिथियों से पदोन्नत तो किया ही गया है बल्कि अन्तरिक्ष विभाग/इसरो भारत सरकार के कार्मिकों की तरह वैज्ञानिकों को लगातार वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाऐं भी अनुमन्य कर रखी हैं। यही नहीं शासनादेश दिनॉंक 23 सितम्बर 2015 जिसमें संविदा कार्मिकों के सम्बन्ध में निर्देश थे ’’सम्बन्धित पद पर वेतन बैण्ड एवं ग्रेड वेतन का न्यूनतम तथा उस पर राज्य कर्मचारियों को समय-समय पर देय महॅंगाई भत्ते के समान धनराशि जोड़ते हुए उन्हीं संविदा कार्मिकों को अनुमन्य कराई जायेगी जिनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से विज्ञापन निकालकर निर्धारित चयन प्रकिया के अनुसार की गई हो’’ राजीव मोहन द्वारा बिना विज्ञापन एवं पारदर्शिता के नियुक्त संविदा कार्मिकों को दिनॉंक 23 सितम्बर 2015 के तहत संविदा धनराशि को अनुमन्य कराया जा रहा है। यही नहीं केन्द्र में रिक्त डी0टी0पी0 आपरेटर एवं वाहन चालक के पद जो कि अनुसूचित जाति वर्ग हेतु आरक्षित थे उन दो संविदा कार्मिकों को विनियमित करते हुए नियुक्त पत्र भी जारी कर दिया है। राजीव मोहन अनियमित कार्यवाहियॉं करते हुए राज्य सरकार को प्रतिमाह लाखों रूपये की क्षति पहुॅंचा रहें हैं। सेन्टर में प्रशासनिक अधिकारी का सृजित पद जो कि अध्यक्ष, प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा वर्ष 2008 में अस्वीकृत किया जा चुका है तथा सेन्टर के निदेशक द्वारा जिसके कारण कार्यालय अधीक्षक-प्रशासन की प्रशासनिक अधिकारी की पदोन्नति को निरस्त कर दिया गया है। सेन्टर में प्रशासनिक अधिकारी का पद न होने पर भी प्रशासनिक अधिकारी के दायित्वों का निर्वहन कार्यालय अधीक्षक-भण्डार एवं क्रय से कराने के साथ वित्तीय अधिकारों का उपयोग भी कराया जा रहा है। राजीव मोहन द्वारा सेन्टर में अनियमित तौर से कार्यवाहक निदेशक के दायित्वों का निर्वहन करने पर राजीव मोहन के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय में पीआईएल भी दाखिल है। सेन्टर में हो रही अनियमितताओं की शिकायत जगदीश चन्द्र राजानी द्वारा मुख्यमंत्री सेे सेन्टर का सभापति व अध्यक्ष, प्रबन्धकारिणी समिति होने के नाते की गई है।