योगी की दहाड़: रावणों को खत्म करने के लिए हों एकजुट

 

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्र के सामने चुनौती के रूप में खड़े नये रावणों को खत्म करने के लिए एकजुट प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में जिन क्षेत्रों से असुरों का नाश किया वहां आज नक्सलवाद, अलगावाद और आतंकवाद नई चुनौती के रूप में खड़ा है। राम का आदर्श इन चुनौतियों से निपटने के लिए सबसे बड़ा अस्त्र है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्री राम और बुद्ध पूरी दुनिया को संदेश देते हुए दिखते हैं। आज भी दुनिया के तमाम देशों में रामलीला होती है जिनमें इंडोनेशिया, कम्बोडिया, थाईलैंड सहित दक्षिण एशिया के कई देश शामिल हैं। इंडोनेशिया में तो रामलीला करने वाले कलाकार मुस्लिम हैं। वे लखनऊ आये तो मुख्यमंत्री आवास पर आमंत्रित किया था। इंडोनेशिया में रामलीला करने वाले मुस्लिम कलाकारों ने कहा कि श्रीराम उनके पूर्वज हैं। उन्हें रामायण के चरित्रों को निभाने पर गर्व होता है।
मुख्यमंत्री ने लोगों से विजयदशमी के मौके पर गंदगी, भ्रष्टाचार, अराजकता, सम्प्रदायवाद, जातिवाद, परिवारवाद, नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर देशवासियों का देश के प्रति यह बड़ा योगदान होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल की सबसे बड़ी बीमारी इंसेफेलाइटिस के लिए परिवेश और पानी की गंदगी सबसे बड़ी वजह है। 40 साल पहले यदि सरकारों ने स्वच्छ भारत मिशन योजना शुरू की होती तो रावण रूपी इंसेफेलाइटिस कबका बेमौत मर गया होता। गंदगी और इंसेफेलाइटिस एक-दूसरे के सहचरी हैं। किसी भी समाज का मासूम और बचपन मरेगा तो वह समाज विकसित नहीं हो सकता। गंदगी के खिलाफ एक निर्णायक जंग छेडऩे की जरूरत है।
उन्होंने दिवाली को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप स्वच्छता अभियान और डिजिटिलाइजेशन के साथ जोडऩे की अपील की। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से भ्रष्टाचार का खात्मा हो सकता है। अधिक से अधिक लोगों को इससे जुडऩा चाहिए। इस दिवाली इसका प्रारम्भ किया जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा भगवान श्रीराम ने लंका विजय के बाद स्वदेश लौटकर मातृभूमि के प्रति अपने समर्पण का आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने त्रेता युग में भारत की जो सीमा निर्धारित की आज भी वही सीमा दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि श्रीराम के उस समर्पण और समाज के सभी वर्गों को जोडऩे के लिए उनके अभियान को सम्मान देते हुए इस बार अयोध्या में त्रेता युग जैसी दिवाली मनाई जायेगी।