कोहिनूर की कहानी: बेशकीमती हीरे को भारत वापस लाने की मुहिम

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नई दिल्ली। ब्रिटिश सांसद कीथ वाज के बेशकीमती कोहिनूर हीरे को लेकर दिये गये बयान के बाद अब फिर से मांग जोर पकडऩे लगी है कि यह हीरा भारत को लौटा दिया जाये। ब्रिटिश सांसद ने कहा था कि इस हीरे को लेकर भारत की मांग जायज है।
एशियाई मूल के सबसे लंबे समय तक ब्रिटिश सांसद रहने वाले ब्रिटिश वाज ने कहा कि वित्तीय हर्जाना देना एक जटिल, समय लेने वाली और संभावित रूप से निरर्थक प्रक्रिया है, लेकिन कोहिनूर हीरे जैसी अमूल्य वस्तुओं को नहीं लौटाने के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता।
मालूम हो कि मध्यकाल में आंध्रप्रदेश के गुंटुर जिले में कोल्लूर खान से कोहिनूर निकाला गया। एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था। मूल रूप से इस पर काकतीय राजवंश का मालिकाना हक रहा और उसने इसे एक मंदिर में देवी की आंख के तौर पर इसे स्थापित किया गया था। इसके बाद यह कई आक्रमणकारियों के हाथों गुजरा और आखिरकार ब्रिटिश शासन में वहां पहुंचा। लार्ड डलहौजी ने यह हीरा महारानी को भेंट किया था। अब यह हीरा महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज का हिस्सा है।