रोटोमैक के मालिक कोठारी बोले: नहीं जा रहा देश छोडक़र

 

कानपुर। बैंकों के अरबों रुपये के कर्जदार और कानपुर के नामी उद्योगपति विक्रम कोठारी ने कहा कि वह देश छोडक़र कहीं नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों से लिए गए कर्ज का केस नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास है। इसके इतर क्रेडिट कमिटी से लोन चुकाने के बारे में बातचीत जारी है। कानपुर के जाने-माने कारोबारी विक्रम कोठारी पेन बनाने वाली अग्रणी कंपनी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं। उन्होंने काफी साल पहले कानपुर की 5-6 बैंकों से अरबों रुपये का बिजनेस लोन लिया था। जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद बैंक से ब्याज मिलाकर यह कर्ज करीब 352 करोड़ रुपये और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से यह रकम तकरीबन 485 करोड़ रुपये है। कुछ और बैंकों से भी अरबों रुपये का कर्ज लिया गया था। आरोप है कि बिजनेस में नुकसान के बाद जब बैंक लोन की रिकवरी नहीं कर सकीं तो रकम को एनपीए गैर निष्पादित संपत्तियां घोषित कर दिया गया। रिकवरी के लिए जब बैंकों ने लोन के लिए बंधक रखी गईं संपत्तियों को अटैच करने की प्रक्रिया शुरू की तो कोठारी पूरा मामला एनसीएलटी ले गए। जानकारों का कहना है कि एनसीएलटी की शरण में जाकर कोठारी अपनी निजी संपत्तियों को नीलामी से बचाना चाहते हैं। इस पूरे मामले में एनसीएलटी 22 फरवरी को सुनवाई करेगा। कोठारी ने रविवार को कहा कि उनके देश से बाहर जाने की खबरें पूरी तरह बेबुनियाद हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा, मैं कानपुर का निवासी हूं और यहीं रहूंगा। मैं हर वक्त अपने ऑफिस में मौजूद रहता हूं। कई बार काम के सिलसिले में मुझे देश के कुछ शहरों की यात्रा करनी पड़ती है। गलत तथ्यों के सहारे मेरे खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि मैं देश छोडक़र भाग गया। मैं इस तरह की खबरों से अचंभे में हूं। मेरे खिलाफ गलत बातें लिखी जा रही हैं। व्यापार के लिए बैंकों से जो लोन लिया था, उसके बारे में उनसे बातचीत की जा रही है। एनसीएलटी के अलावा कहीं भी मेरे खिलाफ कोई केस नहीं है। लोन को न चुकाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। वहीं इलाहाबाद बैंक के रिकवरी इंचार्ज राजेश गुप्ता का कहना है कि रोटोमैक कंपनी के मालिक पर 352 करोड़ रुपये का लोन था और उनकी संपत्ति जब्त की जा रही है। उम्मीद है कि लोन की एक बड़ी रकम रिकवर कर ली जाएगी।