उप्र में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 36 प्रतिशत, बिजनेस रिफार्म में सुधार 12वीं रैंक

जनसंदेश ब्यूरो
नई दिल्ली नवम्बर। उप्र सरकार को विकास की रफ्तार पकड़ने के लिए अभी बहुत कुछ करना है। नीति आयोग के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा पूर्व में ही राज्य पोषण मिशन का गठन किया जा चुका है। थर्ड पार्टी स्वतंत्र अनुश्रवण एवं मूल्यांकन हेतु यूनीसेफ तथा बीएमजीएफ- टीएसयू को भी आबद्ध किया गया है। पोषण कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन के दृष्टिगत ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल विकास एवं पुष्टाहार, खाद्य एवं रसद, पंचायतीराज तथा ग्राम्य विकास विभागों के मध्य समन्वय स्थापित किया गया है। प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को एएनएम उपकेन्द्र स्तर पर सुपोषण स्वास्थ्य मेले का आयोजन भी किया जा रहा है। भारत सरकार ने प्रदेश सरकार द्वारा पोषण के क्षेत्र में किए गए प्रयासों को मान्यता प्रदान करते हुए पुरस्कृत भी किया है।
प्रदेश द्वारा प्रतिरक्षण के क्षेत्र में लगभग 84 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल कर ली गयी है और दिसम्बर, 2018 तक इसे 90 प्रतिशत तक लाए जाने का लक्ष्य है। सभी जनपदों में मोबाइल वैन के माध्यम से प्रतिरक्षण की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए गर्भवती महिलाओं का शत-प्रतिशत डिजीटल पंजीकरण सुनिश्चित किये जाने के साथ-साथ 24 घंटे सहायता हेतु हेल्पलाईन भी स्थापित है। स्वास्थ्य क्षेत्र में पी0पी0पी0 के माध्यम से अस्पतालों का सुदृढ़ीकरण विचाराधीन है। 14 जिला अस्पतालों को मेडिकल कालेज में उच्चीकरण की कार्यवाही की जा रही है। मार्च, 2019 तक 2 हजार हेल्थ एण्ड वेलनेस सेण्टर स्थापित हो जाएंगे। राज्य सरकार के रणनीतिक हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप जापानी इन्सेफेलाइटिस के कारण होने वाली मृत्यु दर एवं रूग्णता दर पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया हैै।
शिक्षा के क्षेत्र मंें ‘स्कूल चलो अभियान’ कार्यक्रम को वृहद रूप से लागू किया गया है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। प्राइमरी स्तर पर ड्राप आउट रेट जो वर्ष 2016-17 में 9.48 था वह वर्ष 2017-18 में घटकर 4.9 हुआ है। छात्र-शिक्षक अनुपात को सुधारने की दिशा में एक ओर जहां शिक्षकों की भर्ती की गई है वहीं दूसरी ओर विपरीत छात्र-शिक्षक अनुपात वाले स्कूलों का चिन्हांकन कर उनमें शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित करायी गई है। 41,556 नये प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिससे प्राइमरी स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 35.95 हो गया है। बच्चों को रुचिपूर्ण एवं गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने हेतु समय-समय पर शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा 5 हजार विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करने का निर्णय भी लिया गया है। प्रदेश सरकार के प्रयासों के द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2016-17 में छात्रों का नामांकन लगभग 1.52 करोड़ था जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 1.53 करोड़ हो गया है। वर्ष 2018-19 में नामांकन बढ़कर 1.58 करोड़ हुआ है।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत 11.72 लाख के पुनरीक्षित लक्ष्य के सापेक्ष 8.53 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। इसके साथ ही चिन्हित 1,258 भूमिहीन परिवारों में से 509 परिवारों को भूमि का पट्टा आवंटित कर दिया गया है। मनरेगा के अंतर्गत लगभग 87 प्रतिशत लाभार्थियों को समय से भुगतान किया जा रहा है। प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत 36 प्रतिशत महिलाआंे की भागीदारी है। लगभग 45.41 लाख (89 प्रतिशत) परिसम्पत्तियों की जियो टैंगिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। प्रदेश में वर्तमान में 16.9 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या पाइप जलापूर्ति से आच्छादित है। इसे राष्ट्रीय औसत 54 प्रतिशत तक लाने हेतु प्रदेश को लगभग 45 हजार करोड़ के अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होगी। ‘हर घर जल’ योजना के अंतर्गत शत-प्रतिशत आच्छादन हेतु लगभग 1.05 लाख करोड़ रूपये की आवश्यकता उभरकर आती है। इस आवश्यकता के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा चयनात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए समस्याग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंतर्गत अभी तक बेनिफिशियरी लेड कन्स्ट्रक्शन (बी0एल0सी0) के अंतर्गत 6.25 लाख आवास तथा अफोर्डेबल हाउसिंग थ्रू पार्टनरशिप (ए0एच0पी0) के अंतर्गत 1.08 लाख कुल 7.33 लाख आवास भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। क्रेडिट लिंक सब्सिडी योजना (सी0एल0एस0एस0) के अंतर्गत 11,786 लाभार्थियों को 207 करोड़ रुपये का अनुदान निर्गत किया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत नमामि गंगे योजना में 1,605 गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है। 67,112 ग्राम पंचायतों में स्वच्छाग्रही की तैनाती कर दी गई है। 92.8 प्रतिशत गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है और 81 प्रतिशत शौचालयों की जिओ टैगिंग की जा चुकी है। 37 जनपदों को ओ0डी0एफ0 किया जा चुका है।
प्रदेश सरकार द्वारा बाण सागर परियोजना को पूर्ण कर लिया गया है और आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा दिनांक 15 जुलाई, 2018 को इसका उद्घाटन भी किया गया है। इस परियोजना से लगभग 1.50 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता का सृजन हुआ है। अर्जुन सहायक, मध्य गंगा फेज-2 तथा सरयू नहर परियोजनाओं को पूर्ण करने हेतु लगभग 8 हजार 86 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। यदि अनुमन्य केन्द्रीय सहायता समय से राज्य को उपलब्ध करा दी जाती है तो इन परियोजनाओं को दिसम्बर, 2019 तक पूर्ण कराते हुए लगभग 15.94 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता का सृजन होगा। वर्तमान में इन परियेाजनाओं के अंतर्गत 11.59 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता का सृजन हुआ है।
उद्योग के क्षेत्र में बिजनेस रिफार्म एक्शन प्लान 2017 के कार्यान्वयन हेतु एक्शन प्लान बनाया गया है। प्रदेश द्वारा जहां वर्ष 2016 में 14वीं रैंक हासिल की थी, वहीं वर्ष 2017 में सुधार करते हुए 12वीं रैंक हासिल की गई है। राज्य सरकार को 92.89 प्रतिशत के संकलित स्कोर के आधार पर ष्।बीपमअमत ैजंजमष् घोषित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 लागू की गई है। निवेश को आकर्षित करने के दृष्टिगत फरवरी, 2018 में इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 7 हजार निवेशकों ने प्रतिभाग किया एवं लगभग 4.28 लाख करोड़ रुपये के एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित हुए। इस क्रम मंे माह जुलाई, 2018 में ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन किया गया, जिसमें 62 हजार करोड़ रुपये की 81 निवेश परियोजनाएं शुरू की गईं। माह दिसम्बर, 2018 में ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी का द्वितीय चक्र प्रारम्भ किया जायेगा।
किसानों की भूमि का मृदा परीक्षण सुनिश्चित करने के संदर्भ में अभी तक 56 प्रतिशत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं और शेष किसानों को चल रहे अभियान के माध्यम से मार्च, 2019 तक मृदा स्वास्थ्य कार्ड मुहैया करा दिए जाएंगे। परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 575 क्लस्टरों को जैविक खेती में मार्च, 2019 तक परिवर्तित किए जाने की कार्य योजना है।
वर्ष 2017-18 में फसल बीमा योजना के अंतर्गत एक ओर जहॉं खरीफ में 24.66 लाख हेक्टेयर (25 प्रतिशत) तथा रबी में 23.58 लाख हेक्टेयर (18 प्रतिशत) का आच्छादन हुआ है वहीं वर्ष 2018-19 में खरीफ के अंतर्गत इसका आच्छादन बढ़कर 25.75 लाख हेक्टेयर (26 प्रतिशत) हुआ है। रबी में 65.84 लाख हेक्टेयर आच्छादन का लक्ष्य है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में खरीफ की फसल की बुआई को प्रोत्साहन देने के लिए बीजों पर अनुदान की राशि बढ़ाकर 80 प्रतिशत की गई। प्रदेश में मॉडल कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट तैयार किए जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पेयजल समस्या के निदान हेतु नीति आयोग का ध्यान आकृष्ट किया गया कि पाईप पेयजल आपूर्ति हेतु बहुत बड़ी धनराशि की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में नीति आयोग द्वारा प्रदेश सरकार के साथ संयुक्त कार्यकारी दल बनाये जाने का मत स्थिर हुआ। नीति आयोग ने इस क्षेत्र में पेयजल सुविधा हेतु बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराये जाने के संकेत दिये।
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