गन्ने का रकबा भी बढ़ा, चीनी में उप्र फिर से नंबर 1 का दावेदार

लखनऊ नवम्बर। बीते सीजन में चीनी के बंपर उत्पादन कर रिकार्ड बनाने वाले उप्र में महज 5 महीने बाद ही 121 चीनी मिलों में से 85 चीनी मिलों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। बाकी चीनी मिलें भी इसी हफ्ते में शुरू हो जाएगीं। प्रदेश की 02 नई चीनी मिलें पिपराइच व मुण्डेरवा भी फरवरी से गन्ना पेराई शुरू करेंगी। उप्र में इस साल भी रिकार्ड चीनी उत्पादन की संभावना है। खरीद और मूल्य भुगतान के कारण राज्य में गन्ने का रकबा भी बढ़ा, पेराई और बेहतर माहौल से चीनी उद्योग में उप्र फिर से नंबर 1 का दावेदार है।
उप्र पिछले साल देश में चीपनी उत्पादन में नंबर 1 था। इस बार भी पोजिशन बनाए रखने की जद्दोजहद में है। प्रदेश सरकार गन्ने की कीमत तय करने की प्रक्रिया में है। जबकि चीनी मिलों ने पेराई सत्र 2017-18 के कुल देय गन्ना मूल्य 35,463 करोड़ रुपए के मुकाबले 6,830 करोड़ रुपए बकाया है। 28,633 करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य भुगतान किया जा चुका है।
उप्र में पिछले पेराई सत्र में रिकार्ड 1102 लाख टन गन्ने की पेराई की। राज्य ने रिकार्ड 120 लाख टन चीनी का उत्पादन किया। चीनी मिलों ने 26 जून तक गन्ने की पेराई करने के चार महीने बाद फिर से पेराई शुरू कर चुकी है। मंगलवार को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गन्ना किसानों का हित और चीनी मिलों का सुदृढ़ीकरण राज्य सरकार की प्राथमिकता है। किसी भी स्तर पर किसानों का उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा। राज्य सरकार चीनी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए हर सम्भव मदद उपलब्ध कराएगी। उन्होंने अधिकारियों को निजी चीनी मिलों के स्तर पर बकाए गन्ना मूल्य भुगतान के सम्बन्ध में संवाद स्थापित करते हुए तेजी लाए जाने के निर्देश दिए। गौरतलब है कि चीनी के भारी उत्पादन के कारण मिलों को लागत से कम दाम पर चीनी बेंचनी पड़ रही है। लगातार दो पेराई सत्र में गन्ने की वाजिब कीमत मिलने और सहूलियतों के कारण इस बार रकबा भी पांच प्रतिशत बढ़ गया है। गन्ने की उत्पादकता भी प्रति हेक्टेयर सात मीट्रिक टन बढ़ कर 79.19 हो गई है। पिछले सत्र में गन्ना उत्पादन बढ़ने से 17 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन बढ़ गया। चीनी मिलों की संख्या भी 116 से बढ़ कर 119 हो चुकी है। इस साल दो नई चीनी मिलें शुरू होने के बाद यह संख्या 121 हो जाएगी। राज्य में व्यवसायिक खेती में सबसे ज्यादा गन्ने की फसल का उत्पादन होता है। प्रदेश की राजनीति को 51 लाख से अधिक गन्ना किसानों के परिवार प्रभावित करते है। अतंर्राष्ट्रीय बजार में चीनी की कम कीमत और उप्र में रिकार्ड उत्पादन के कारण प्रदेश सरकार पर आर्थिक दबाव बन रहा है। राज्य सरकार ने गन्ना मूल्य के भुगतान हेतु राज्य सरकार द्वारा सरल ब्याज पर 4000 करोड़ रुपए के ऋण की व्यवस्था की गई है, जिसके लिए चीनी मिलों ने बैंकों में आवेदन दिए है। शासन द्वारा प्रथम किश्त में 1000 करोड़ रुपए अवमुक्त किया गया है। प्रमुख सचिव चीनी मिलें एवं गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने बताया कि स्टेट लीड बैंक के माध्यम से प्राप्त सूचना के अनुसार चीनी मिलों के 3,873 करोड़ रुपए के 64 प्रार्थना पत्र बैंकों को प्राप्त हो चुके हैं। बैंकों द्वारा मूल्यांकन बाद स्वीकृति पत्र निर्गत कर धनराशि की मांग करते ही धनराशि सम्बन्धित बैंकों को अवमुक्त कर दी जाएगी। अब तक 994.61 करोड़ रुपए के ऋण प्रार्थना-पत्र स्वीकृत किए जा चुके हैं।
इसी प्रकार चीनी मिलों द्वारा खरीदे गए गन्ने पर 4.50 रुपए प्रति कुन्तल की दर से 500 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता भी राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई है।
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