क्रोध,डायबिटिज सहित रोगों पर पायें काबू पाना है शास्त्रीय राग सुनिये

आइआइटी कानपुर में शास्त्रीय संगीत के शोध के शुरूआती नतीजे दुनिया को चौंकाने वाले
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर में शास्त्रीय संगीत की विभिन्न राग-रागनियों पर शोध के शुरूआती नतीजे दुनिया को चौंकाने वाले है। शुरूआती निष्कर्ष के मुताबिक क्रोध पर नियंत्रण के लिए राग सहाना अति उपयोगी है। राग दरबारी को अगर देर रात को सुना जाए तो तनाव कम करने में मदद मिलती है। दोपहर में राग भीमपलासी सुना जा सकता है। पेट संबंधी रोगों के लिए राग पूरिया धनाश्री और राग दीपक को एसिडिटी कम करने के लिए, राग जौनपुरी और गुनकली को कब्ज के लिए, मालकौंस को गैस के लिए सुना जा सकता है। हृदय रोग है तो सारंग वर्ग के राग, कल्याणी और चारुकेसी। सिरदर्द है तो राग आसावरी, पूरवी और राग तोड़ी।
शास्त्रीय संगीत के राग नई पीढ़ी को अच्छे नही लगते है। आइआइटी मस्तिष्क के न्यूरॉन्स और नर्वस सिस्टम पर राग-रागनियों से पड़ने वाले असर पर शोध किया जा रहा है। ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस (मानविकी और समाज) विभाग के प्रो. बृजभूषण, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा और शोधार्थी आशीष गुप्ता रिसर्च टीम शामिल हैं। अब तक 15 छात्रों पर शोध किया गया। इन छात्रों ने पहले कभी राग दरबारी नहीं सुना था। 10 मिनट तक उन्हें राग सुनाया गया। फिर इन छात्रों का बारी-बारी से ईईजी टेस्ट हुआ। तीन चरणों में आई रिपोर्ट की ग्राफिकल मैपिंग की गई। राग सुनने के दौरान महज 100 सेकेंड में न्यूरॉन्स की सक्रियता बढ़ गई। यह स्थिति राग सुनने तक (दस मिनट) बनी रही। उसके कुछ देर बाद न्यूरॉन्स पहले जैसे हो गए। प्रो. बेहरा बताते हैं कि न्यूरॉन्स के बीच न्यूरल फायरिंग होती है। जब एक न्यूरॉन दूसरे को करंट सप्लाई करता है, तो उसे न्यूरल फायरिंग कहते हैं। यही न्यूरॉन्स की सक्रियता को भी दर्शाता है। थोड़ी देर ही राग को सुनने पर यह गतिविध चरम पर जा पहुंची।
रिसर्च के मुताबिक चिंता, हाईपरटेंशन रू राग काफी, राग दरबारी, राग शिव रंजनी, राग खमाज, राग आसावरी। हाई ब्लडप्रेशर वालों को राग तोड़ी, अहीर भैरव, राग बागेश्री, मालकौंस, तोड़ी, पूरिया, अहीर भैरव, जयजयंती, राग मालकौंस फायदेमंद हो सकते हैं। डायबिटीज वालों को राग बागेश्री और राग जयजयंती रक्त शर्करा को नियंत्रित कर सकते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, आम तौर पर लोगों में न्यूरल फायरिंग सही तरीके से नहीं होती है। दिमाग के फ्रंटल एरिया (आगे का हिस्सा) के न्यूरॉन्स पैरेटल (मध्य भाग का हिस्सा) हिस्से के न्यूरॉन्स तक ही जा पाते हैं, पीछे के हिस्से तक नहीं। यदि ये पीछे तक भी जाएं तो इससे सोचने, समझने की क्षमता काफी बढ़ जाती है। राग दरबारी पर हुए हमारे शोध ने यह साबित किया है। प्रोफेसर बृजभूषण ने कहा कि राग दरबारी सुनने के बाद एकाग्रता, बौद्धिक क्षमता, सोचने-समझने की क्षमता बढ़ जाती है। यह शोध नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

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