देश के सिर्फ एक लोकायुक्त से कर सकते है ऑनलाइन शिकायत,

9 दिसंबर को भ्रष्टाचार विरोधी दिवस, 23 राज्यों में लोकायुक्त, सिर्फ 14 की बेवसाइट मौजूद
लखनऊ । भ्रष्टाचार रोकने के लिए किये जाने वाले उपायों में देश काफी पीछे है। कुल 30 राज्यों (29 राज्य एवं 1 केन्द्र शासित राज्य दिल्ली) मे से केवल 23 राज्यों मे लोकायुक्त कानून का प्रावधान है जिसमे 5 राज्यों मे लोकायुक्त का पद रिक्त है। इतना ही नही 23 राज्यों में से केवल 14 राज्यों में ही लोकायुक्त की वैबसाइट है, जबकि 9 राज्य के लोकायुक्त कार्यालय की वेबसाइट बनी ही नहीं है। डिजिटल इंडिया के दौर में ऑन लाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा सिर्फ महाराष्ट लोकायुक्त ने दे रखी है।
गौरतलब है कि ‘यूनाइटेड नेशन्स’ 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में मनाता है। इस मौके पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया देश में ऑम्ब्ड्स्मैन के रूप मे लोकपाल (केन्द्रीय स्तर पर) एवं लोकायुक्त (राज्य स्तर पर) के कामकाज का विश्लेषण किया है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकपाल एवं लोकयुक्त कानून 2013 के अनुच्छेद 63 मे यह कहा गया है कि कानून लागू होने के एक वर्ष के भीतर प्रत्येक राज्यों मे लोकायुक्त कि नियुक्ति करें। हांलाकि अनेक राज्य इस अधिनियम का अनुपालन नहीं कर पायें हैं। यह अधिनियम 16 जनवरी 2014 को लागू हुई। लेकिन इसका प्रभावी कार्यान्वयन अभी भी सपना ही हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2018 मे सभी राज्यों को यह निर्देश दिया कि निश्चित समयावधि मे लोकपाल एवं लोकायुक्त कि नियुक्ति कि
जाए क्योकि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 में यह अनिवार्य है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीबीआई का अंदरूनी विवाद यह पुनः स्पष्ट करता है कि भारत मे भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओ कि स्थिति अच्छी नहीं है। जिस कारण वे प्रभावी रूप से भ्रष्टाचार का रोकथाम करने में असमर्थ हैं! इन भ्रष्टाचार विरोधी संस्थानो की कार्याशैली और संरचना मे गम्भीर कमी है। 
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की यह रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकायुक्त से शिकायत दर्ज कराने के लिए 7 राज्यों में कोई फीस नही ली जाती है। जबकि अन्य राज्यों में 3 रुपये से 2000 रूपये तक फीस ली जाती है। हिमाचल प्रदेश मे रुपये 3 तो गुजरात और उत्तर प्रदेश मे रुपये 2000 रूपये फीस ली जाती है। 
संस्था के उपनिदेश बृजभूषण सिंह ने कहा कि लोकायुक्तों का काम ढीलाढाला और अत्यंत औपचाकिता भरा है। हालात ऐसे है कि पिछले दो साल में केवल 4 राज्यों ने अपनी वैबसाइट पर वार्षिक रिपोर्ट अपलोड की है। यह 4 राज्य है हरियाणा, आंध्रा प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान। सिंह ने कहा कि 
सर्वाधिक संख्या मे शिकायत प्राप्त करने वाले मुख्य 5 राज्यों में बिहार, महाराष्ट, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश हैं। 
सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार को काबू करने मे ऑम्ब्ड्स्मैन (लोकपाल) जैसी संस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऑम्ब्ड्स्मैन संस्था की शुरुआत सर्वप्रथम स्वीडन मे सन 1809 में की गयी थी। फिनलैंड मे यह 1920 से ही कार्यरत है। भारत मे यह कानून 2014 मे बना किन्तु अभी तक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो सका है।
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