बीएसएनएल को बेचेगी मोदी सरकार

नई दिल्ली। एक तरफ तो सरकार ने बीएसएनएल में नई जान फूंकने के विकल्प पर विचार करने को कहा है, वहीं दूसरी तरफ उसने कंपनी को बंद करने को लेकर विश्लेषण करने की भी बात कही है। बीएसएनएल को सरकार के पास मौजूद तमाम विकल्पों का तुलनात्मक विश्लेषण करने को कहा गया है। सूत्रों ने कहा, इन विकल्पों में कंपनी में रणनीतिक विनिवेश, कंपनी बंद करने या वित्तीय समर्थन से नई जान फूंकना शामिल है। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने लगातार वित्तीय घाटे से जूझ रही सरकारी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को कंपनी में नई जान फूंकने के लिए विनिवेश के अलावा, उसे बंद करने के विकल्प पर विचार करने को कहा है। वित्त वर्ष 2017-18 के अंत तक कुल घाटा 31,287 करोड़ रुपये पहुंचने के बाद बीएसएनएल के शीर्ष अधिकारियों की केंद्रीय दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन के साथ बैठक हुई है, जिसके बाद यह निर्देश सामने आया है। बैठक के दौरान चेयरमैन अनुपम श्रीवास्तव ने दूरसंचार सचिव के समक्ष एक प्रजेंटेशन दिया, जिसमें कंपनी की वित्तीय हालत, उसका कुल घाटा, रिलायंस जियो के आने के बाद उसके कारोबार पर असर, संभावित तौर पर कर्मचारियों के लिए वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) और समय से पहले सेवानिवृत्ति की योजना का विस्तृत विवरण पेश किया।