बीजेपी ने ज्यादातर युवाओं को मैदान में उतारा

चुनाव डेस्क। भाजपा ने प्रदेश में 80 सीटों में से 74 सीटें जीतने के दावे को पूरा करने के लिए युवा प्रत्याशियों की फौज मैदान में उतारी है। राजनीति में 60 साल की उम्र के नेताओं को युवा की श्रेणी में शामिल किया जाता है। ऐसे में भाजपा के 75फीसदी ऐसे प्रत्याशी हैं, जो 60 साल से कम हैं।
भाजपा और उसके सहयोगी दल अपना दल को मिलाकर 80 में से 79 सीटें घोषित हो चुकी हैं। 79 में से दो पर अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल लड़ रही है। एक सीट घोसी पर प्रत्याशी घोषित होना बाकी है। भाजपा ने अपने हिस्से की 77 सीटों में से 27 ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं, जिनकी उम्र 50 साल के अंदर है। 50 और 60 साल की उम्र के बीच 50 उम्मीदवार हैं।
डा. संघमित्रा मौर्य की उम्र केवल 33 साल है। ये बदायूं से दो बार लगातार जीत रहे सपा के धर्मेन्द्र यादव के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। बदायूं से भाजपा केवल एक बार 1991 में ही जीती है। धर्मेन्द्र यादव, सलीम शेरवानी और शरद यादव जैसे दिग्गजों वाली सीट से भाजपा को जिताना डा. मौर्य के लिए चुनौती है।
34 साल के सुब्रत पाठक कन्नौज से समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को टक्कर दे रहे हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे श्री पाठक पिछली बार भी डिंपल को कड़ी टक्कर दी थी। दोनों के बीच मुकाबला इतना कड़ा था कि डिंपल महज 20 हजार वोटों से ही जीत पाईं थीं।
पीलीभीत से 39 साल के भाजपा के उम्मीदवार वरुण गांधी ने तो 29 साल की उम्र में ही इस सीट को जीता था। इसके बाद वह 2014 में सुलतानपुर के सांसद बने। अब वह फिर से पीलीभीत से चुनाव लड़ रहे हैं। मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी भाजपा के स्टार प्रचारक रहे हैं। इस बार वह अपने चुनाव पर ध्यान केंद्रित किए हैं।
आजमगढ़ से सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ लड़ रहे भोजपुरी के प्रख्यात गायक दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ 40 साल के हैं। यह सीट 2009 को छोडक़र भाजपा कभी भी नहीं जीती। 2014 में मुलायम सिंह यादव जीते और अब अखिलेश यादव मैदान में हैं। ऐसे में दिनेश लाल यादव के लिए यहां कड़ी चुनौती है।
कुशीनगर से 41 साल के विजय दुबे को भाजपा ने मैदान में उतारा है। इस सीट से 2014 में राजेश पांडे चुनाव जीते थे। इस बार उनकी जगह पूर्व विधायक विजय दुबे मैदान में हैं। कांग्रेस से पुराने दिग्गज आर.पी.एन.सिंह उम्मीदवार हैं। ये 2009 में चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे मेें यहां से भाजपा को मुकाम दिलाना विजय दुबे के लिए बड़ी चुनौती है।अमेठी से 43 साल की स्मृति ईरानी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को टक्कर दे रही हैं। भाजपा ने 2014 में भी राहुल के खिलाफ ऐन मौके पर स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा था। स्मृति ने गांधी परिवार का गढ़ रही इस सीट से राहुल को कड़ी टक्कर दी। राहुल 1 लाख सात हजार वोटों से जीत सके। भाजपा केवल 1998 में एक बार इस सीट को जीत पाई है। तब संजय सिंह इस सीट से जीते थे। उसके बाद लगातार यह सीट कांग्रेस के पास रही है। तीन बार से तो राहुल गांधी इस सीट से सांसद हैं। पिछली बार की तरह स्मृति ईरानी इस चुनाव में भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए चुनौती बनी हुई हैं।