जज एस.एन. शुक्ला: जानें आखिर क्या है पूरा मामला

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधी कानून (प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट) के तहत केस दर्ज करने की अनुमति दे दी है। इतिहास में यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को हाई कोर्ट जज के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति दी है। जस्टिस श्री नारायण शुक्ला उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के ही रहने वाले हैं। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। यूपी सरकार में वह अपर महाधिवक्ता भी रहे हैं। 2005 में एसएन शुक्ला को अडिश्नल जज बनाया गया और दो साल बाद उन्हें 2007 में स्थाई जज बनाया गया। वह अगले साल रिटायर होने वाले हैं, लेकिन उससे पहले ही उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है।
मामला लखनऊ में कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से जुड़ा है। यह मेडिकल कॉलेज एक समाजवादी पार्टी के नेता बीपी यादव और पलाश यादव का है। 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने मेडिकल संस्थान का निरीक्षण किया। इस दौरान यहां बुनियादी सुविधाएं कम पाई गई। यहां पर मेडिकल की पढ़ाई के मानक पूरे नहीं हो रहे थे। इसके बाद आदेश के तहत प्रसाद इंस्टिट्यूट समेत देश के 46 मेडिकल कॉलेजों में मानक पूरे न करने पर नए प्रवेशों पर रोक लगा दी गई थी।
नए प्रवेश पर रोक लगाए जाने के बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने मेडिकल कॉलेजों को राहत नहीं दी। प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इस याचिका पर जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने सुनवाई की। जस्टिस एसएन शुक्ला ने सुनवाई के बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट को नए प्रवेश लेने की अनुमति दे दी। इस फैसले को लेकर अन्य मेडिकल कॉलेजों के बीच हडक़ंप मच गया। जस्टिस शुक्ला पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे और यहीं से उनके खिलाफ लामबंदी शुरू हो गई। जस्टिस शुक्ला ने जिस दिन प्रसाद इंस्टिट्यूट के पक्ष में फैसला दिया, उससे दो दिन पहले सीबीआई ने लखनऊ और अन्य जगहों पर छापेमारी की थी। इस मामले में उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आईएम कुद्दूसी का नाम भी आया। आईएम कुद्दूसी के ठिकानों समेत, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के मालिक बीपी यादव, पलाश यादव, विश्वनाथ अग्रवाल, भावना पांडेय, मेरठ के एक मेडिकल कॉलेज के सुधीर गिरी समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। सीबीआई की इस छापेमारी में भारी रकम के लेनदेन का मामला भी सामने आया था। आरोपियों के पास से तब लगभग दो करोड़ रुपये नगद बरामद होने की बात सामने आई थी और रुपयों के लेनदेन से संबंधित दस्तावेज भी सीबीआई ने जब्त किए थे। रुपयों के इस लेनदेन में आईएम कुद्दुसी का नाम सामने आया था।