आम्रपाली ग्रुप का फर्जीवाड़ा: एक रुपये में ऑडी की नीलामी

लखनऊ। पिछले साल दिसंबर माह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आम्रपाली ग्रुप की संपत्ति और गाडिय़ाँ नीलाम किये जाने का आदेश दिया गया था । आम्रपाली के मालिकान जहाँ जेल से भी षडयंत्र रच रहे है वही ग्रुप में तमाम सफेदपोश चेहरों ने ईडी और सुप्रीमकोर्ट को गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है । दरअसल आम्रपाली ग्रुप द्वारा किये जा रहे फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद पूरे मामले की जांच ईडी को सौंपी गयी थी । जिसपर ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने तफ्तीश शुरू करते हुए करोड़ो रूपए की मनी लॉनड्रिंग का मामला पकड़ा था । ई0डी0 की तरफ से उनके सबसे विशेष अधिवक्ता कुलदीप श्रीवास्तव इस मामले को देख है । वरिष्ठ अधिवक्ता कुलदीप श्रीवास्तव ने पहले भी कई नामचीन मामलों में ई0डी0 को सफलता दिलाई है जिसमे अनुभव मित्तल का 3700 करोड़ का नोटबंदी के दौरान किया गया घोटाला, एन0आर0एच0एम0 घोटाला और लैकफेड जैसे घोटालों की परत खोलने में योगदान रहा है । आम्रपाली ग्रुप के निदेशकों के खिलाफ प्रोडक्शन वार्रेंट जारी करवाने में भी कुलदीप श्रीवास्तव की अहम् भूमिका रही है ।
ई0डी0 की लखनऊ में हो रही सुनवाई के दौरान ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था । बिक्रम चैटरजी, जो कि आम्रपाली ग्रुप द्वारा धोखाधड़ी के शिकार थे, उन्होंने भारत सरकार और आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ ये मुकदमा दायर किया था । देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने निर्देशों में साफ़ कहा कि आम्रपाली और उससे जुड़ी कंपनियों का ऑडिट किया जाएँ और फ्लैट खरीदारों को उनका हक़ दिया जाये । ऑडिट जांच में साफ़ हो गया कि आम्रपाली ग्रुप ने लोगों को फ़्लैट देने के नाम पर तकरीबन छह हज़ार करोड़ रूपए से ज्यादा की हेराफेरी की है ।

इसके बाद सुप्रीमकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए आम्रपाली ग्रुप और उससे जुड़ी सभी कंपनियों और बैक अकाउंट को सीज कर जनता के पैसे लौटाने का निर्देश जारी किया । साथ ही सुप्रीमकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आम्रपाली ग्रुप से जुड़ी सम्पतियों की नीलामी कर फ़्लैट खरीदारों के पैसे वापस करें जाएँ ।

माननीय सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत मिनी रत्न श्रेणी 1 की पीएसयू ( एमएसटीसी ) द्वारा इसकी प्रक्रिया शुरू की गई । साथ ही आम्रपाली ग्रुप की नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा में तकरीबन सैंकड़ों करोड़ रूपए की 16 संपत्तियों और 15 बेशकीमती विदेशी कारों की नीलामी की सूचना ई – ऑक्शन के ज़रिये कराने के विज्ञापन प्रदर्शित किये गये । दिसंबर के अपने आदेश में सुप्रीमकोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप की चल – अचल संपत्तियों को नीलम करने के लिए केंद्र सरकार के इस्पात मंत्रालय की एम0एस0टी0सी0 लिमिटेड कंपनी ( पी0एस0यू0 ) को अधिक्रत किया । एम0एस0टी0सी0 ने नीलामी की प्रक्रिया शुरू करते हुए 15 बेशकीमती कारों की नीलामी की तिथी इसी माह की 7 जनवरी 2020 की तिथि तय करी । जबकि हजारों करोड़ रूपए की नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा की 16 अन्य संपत्तियों को नीलाम करने और उसके ई – ऑक्शन के लिए 8 जनवरी 2020 का समय तय किया था । ऑक्शन यानी नीलामी की जानकारी एम0एस0टी0सी0 ने विज्ञापन और अपनी वेबसाईट के माध्यम से सूचना जारी की थी ।

सूत्रों की माने तो यहीं से ई0डी0 की मेहनत और सुप्रीमकोर्ट के आदेश को गुमराह करने के लिए आम्रपाली ग्रुप के कुछ लोगों को एम0एस0टी0सी0 के बड़े अधिकारीयों को मिला लिया । ई – ऑक्शन का असली खेल अब इसी के बाद शुरू हुआ । दरअसल सुप्रीमकोर्ट को दिए अपने जवाब में एम0एस0टी0सी0 ने आम्रपाली की संपत्तियों को ई – ऑक्शन के ज़रिये नीलम करने की बात कही । यानी वही खरीददार वाहन या संपत्ति की बोली लगा सकते है जो एम0एस0टी0सी0 में रजिस्टर्ड है । मामला सेट होने के बाद आम्रपाली और एमएसटीसी के अधिकारीयों ने साजिश के तहत संपत्तियों का कोई बेस प्राइस ( न्यूनतम मूल्य ) निर्धारित ही नहीं किया और पहले बताई गई 15 गाडिय़ों की जगह सिर्फ 8 गाडिय़ा नीलाम करने का विज्ञापन जारी कर दिया। 7-1-2020 को होने वाली बेशकीमती गाडिय़ों के बोली दाताओं को बताया गया की वे 1 रूपए से गाडिय़ों की कीमत लगाना चालू कर सकते है । करोड़ो की बेश्किमिती गाडिय़ों महज़ 1 रू0 की दर से बिकनी शुरू कर दी गई । इसके बाद एमएसटीसी की वेबसाईट पर नीलामी में भाग लेने वालो ने बोली लगानी शुरू की । जिसके बाद एकाएक साजिश के तहत इस्पात मंत्रालय की एम0एस0टी0सी0 कंपनी की वेबसाईट को क्रैश करा दिया गया । नीलामी में शामिल होने वालों ने बताया कि जिसका अंदेशा पहले से था वहीं हुआ । सबसे गौर करने वाली बात यह है कि सारा खेल खत्म होने के बाद एम0एस0टी0सी0 ने नीलामी की प्रक्रिया और वाहन इत्यादि को ई ऑक्शन के ज़रिए खरीद फरोख्त करने वालो की सूची बनाकर सुप्रीमकोर्ट में सौंप दी गयी । सिर्फ यह जताने के लिए कि नीलामी प्रक्रिया पूरी तरह से स्वच्छ और पारदर्शी रखी गयी है । जबकि करोड़ों रूपए की बेशकीमती कारों को महज़ कुछ लाख रूपए में ही नीलामी के ज़रिये बेच दिया गया ।
साफ है कि नीलामी की पूरी प्रक्रिया जब ई-ऑक्शन के ज़रिये रखी गयी है और वेबसाईट क्रैश कर जाए तो नीलामी प्रक्रिया कैसी पूर्ण हो सकती है । इसके साथ ही एमएसटीसी ने किन-किन लोगों को और कितने रूपए में करोड़ो रूपए की करों को बेचा यह जांच का विषय है । किस – किस ने बोली लगाई और जब वेबसाईट ही क्रैश रही तो बोली लगी कैसे इस बात का प्रमाण भी किसी के पास नहीं । इस पूरे घटनाक्रम से साफ़ है कि आम्रपाली के इस गड़बड़ झाले ने न सिर्फ ईडी की मेहनत पर पानी फेर दिया बल्कि सुप्रीमकोर्ट को गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । सूत्रों की माने तो आम्रपाली ग्रुप और एमएसटीसी के कई बड़े अधिकारीयों की मिलीभगत का ही परिणाम है कि फ्रॉड में भी फ्रॉड किया जा रहा है । और अब देखना ये होगा कि कल होने वाली लखनऊ की ईडी कोर्ट में सुनवाई में क्या फ़ैसला होता है ?