फैंग-फैंग की कहानी ड्रैगन ने दबाई

डेस्क। कोरोना वायरस को लेकर चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही तनातनी चल रही है। चीन पर इस वायरस के बारे में सही जानकारी नहीं देने के आरोप लगते रहे हैं। इतना ही नहीं चीन पर शुरू से ही इसकी जानकारी और सूचना के लिए मनमाना रवैया अपनाने के आरोप भी लगते रहे हैं। ना ही वो दुनिया को शुरुआती सूचना दे पाया, ना ही वह इसे अब तक अन्य देशों को समझाने में कामयाब रहा है। ऐसे में यह आरोप लगना लाजिमी है कि चीन की वजह से दुनिया इस तबाही तक पहुंच गई है। इसी बीच चीन के वुहान शहर में हुए लॉकडाउन के दौरान एक महिला द्वारा लिखी गई एक डायरी बाहर आ गई है। दरअसल, जिस वक्त चीन के वुहान में कोरोना फैला, उस वक्त फैंग-फैंग नाम की महिला हर रोज डायरी लिखती थी, डायरी में वुहान का सारा सच लिखती थी। उसने मौत, मातम और यातना तक की दास्तान लिख दी। शुरू-शुरू में चीन के लोग भी उसके दीवाने हुए लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि पूरी कहानी जर्मन और इंग्लिश में आ रही है तो उन्होंने इस नायिका को खलनायिका बना डाला और फिर फैंग-फैंग को मौत की धमकियां मिलने लगीं।अवॉर्ड विजेता लेखिका फैंग-फैंग को अब जान से मारने की धमकी मिल रही है। धमकी खुद चीन की तरफ से मिली है। और फैंग-फैंग का कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने वो सच बयां किया है जो चीन में घटा है। उन्होंने इस वुहान वायरस के बारे में लिख दिया है, जो पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। उन्होंने 76 दिनों के वुहान लॉकडाउन में डायरी लिखी है।फैंग-फैंग ने उस समय की वुहान की स्थिति, चीन अथॉरिटी की करतूत, अस्पतालों में मरीजों की दुर्दशा, श्मशान और कब्रिस्तानों में फैले मातम के बारे में लिखा। इतना ही नहीं उस महिला ने ये सब लिखा तो लिखा, लेकिन ऑनलाइन भी कर दिया। बस इसी डर से चीन उनके पीछे पड़ गया।
दरअसल, फैंग-फैंग की ये वुहान डायरी जर्मन और इंग्लिश में छपी है। फैंग फैंग ने डायरी के ऑनलाइन वर्जन में कुल 64 पोस्ट डाली हैं। उन्होंने किसी अच्छे रिपोर्टर की तरह जो देखा वो लिखा, जो सुना वो लिखा। जब दुनिया कोरोना को ठीक से जान तक नहीं पाई थी तभी उन्होंने डॉक्टरों के हवाले से दुनिया को बताया कि बीमारी संक्रामक है। उनकी साफगोई दुनिया के दिल में उतर गई, और बहुत से लोग फैंग-फैंग की लेखनी के कायल हो गए।
अगर उनकी डायरी के कुछ पन्नों पर नजर डालें तो 13 फरवरी को फैंग-फैंग एक कब्रिस्तान की तस्वीर लगाकर लिखती हैं, मुझे ये तस्वीर मेरे एक डॉक्टर मित्र ने भेजी है। यहां चारों तरफ फर्श पर मोबाइल फोन बिखरे पड़े हैं। कभी इन मोबाइल का कोई मालिक भी रहा होगा।
उस दौर में जब चीन की सरकार मौतों की संख्या छिपाने में लगी थी, फैंग-फैंग ने उजागर कर दिया कि कब्रिस्तानों में मोबाइल बिखरे पड़े थे, वो बिखरे मोबाइल संकेत थे कि मौतें किस रफ्तार से हो रही थीं। 17 फरवरी के पन्ने पर फैंग-फैंग ने लिखा, अस्पताल कुछ दिनों तक मृत्यु सर्टिफिकेट बांटते रहेंगे और शव वाहनों में कई शव श्मशानों तक पहुंचाए जाते रहेंगे और ये वाहन दिन में कई चक्कर लगाते रहेंगे।
फैंग-फैंग का मकसद सिर्फ मौत की तांडव गाथा लिखने की नहीं थी। उन्होंने अस्पतालों की दुर्दशा के बारे में भी लिखा। अस्पतालों में जगह नहीं है, डॉक्टर मरीजों को देख तक नहीं पा रहे, किसी को किसी की फिक्र ही नहीं है। ये सब भी उन्होंने लिखा। हुआ भी ऐसा ही, जैसा फैंग-फैंग ने लिखा। पश्चिमी देशों की सैटेलाइट्स बताती रही थीं कि वुहान जल उठा था, इतनी लाशें उस दौरान जलाई गई थीं कि सैटेलाइट्स ऊपर से हवा में सल्फर की मात्रा का अनुमान लगाकर मौत के आंकड़े बता रहे थे। पश्चिमी देशों में इस बारे में बहुत कुछ लिखा गया। मगर चीन की रिकॉर्ड बुक में मौत के आंकड़े 3500 के आस-पास रहे। इन आंकड़ों को पिछले ही हफ्ते चीन ने थोड़ा संशोधित किया है।जिस वुहान में एक दिसंबर को ही कोरोना का पहला मरीज आ गया था, वहां जनवरी तक आराम से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें चल रही थीं। नतीजा ये हुआ कि कोरोना चीन से निकल दुनिया में फैल गया। हालात बिगडऩे के बाद चीन ने इस औद्योगिक नगरी को लॉकडाउन कर दिया, वो तारीख थी 23 जनवरी।
आरोप ये भी हैं कि वुहान की वायरोलॉजी लैब से ही कोरोना जन्मा। चीन कहता रहा है कि ये वायरस चमगादड़ से इंसानों तक पहुंचा और तेजी से फैला। लेकिन तथ्यों के आधार पर ये बात गले नहीं उतरती। 18 साल पहले चीन पर सार्स को फैलाने का आरोप लगा था, और अब कोरोना वायरस फैलाने का। आरोप लगे हैं लैब की एक सीनियर रिसर्चर पर, जिसे अमेरिका ने बैट वुमेन का नाम दिया है।