जंग के लिए तैयार हो रहा है ड्रैगन

नई दिल्ली। लद्दाख के गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद भारत-चीन में तनातनी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर तनाव कम करने के लिए नई दिल्ली और बीजिंग की तरफ से सैन्य और राजनयिक प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बीच चीन एलएसी के इलाकों में अपनी सैन्य मौजूदगी भी बढ़ा रहा है। एलएसी से लगे तीन राज्यों अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में लगातार चीन की पीएलए के सैनिकों की आवाजाही बढ़ रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पैंगोंग त्सो झील, गलवान वैली के साथ ही पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में चीनी सेना के जवान बढ़ते जा रहे हैं। पैंगोंग त्सो और गलवान के अलावा डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भी भारत-चीन के जवान आमने-सामने हैं। बुधवार को भारत और चीन ने तनाव को घटाने के लिए राजनयिक स्तर पर बातचीत की। पूर्वी लद्दाख के गलवान में 15 जून को चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पूर्वनियोजित तरीके से भारतीय सेना के जवानों पर हमला किया था। इसमें सेना के 20 जांबाज शहीद हो गए थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पैंगोंग त्सो, गलवान वैली और पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले इलाकों में चीन ने अपने सैनिकों की तादाद बढ़ा ली है। भारत के कड़े विरोध के बावजूद पॉइंट-14 के इलाके में चीन ने फिर ढांचा खड़ा किया है। रिपोर्ट में सबसे चिंता की बात यह है कि अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में एलएसी पर पीएलए ने अपने जवानों के अलावा गोला-बारूद और हथियार में इजाफा किया है।